मॉनसून की वजह से मोदी सरकार के इन वादों पर फिरेगा पानी ,जानें वजह

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – मानसून में देरी की वजह से आम लोगों के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री मोदी भी परेशान है। दरअसल मोदी ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुनी करने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का वादा किया है लेकिन, मानसून की धीमी चाल पीएम मोदी के इन वादों पर पानी फेरता नज़र आ रहा है। बता दें कि मानसून ने केरल में एक सप्ताह की देरी से दस्तक दिया है और यह सामान्य से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। मौजूदा रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून में अब तक मानसून की बारिश औसत से 44% कम हुई है, जिसके कारण खरीफ फसलों की बुवाई में देरी हो रही है।
जिसका सीधा असर उपभोक्ता मांग, समस्त अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल मार्केट पर व्यापक असर पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मॉनसून की बड़ी भूमिका है। शेयर बाजार से लेकर उद्योग जगत पर मानसून के पूर्वानुमान का बड़ा असर पड़ता है। मानसून बढ़िया रहता तो शेयर बाजार और उद्योग जगत में उत्साह का माहौल होता है, जबकि मानसून की बारिश कम रहने की संभावना होती है तो अर्थव्यवस्था के सुस्ती की तरफ बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।

इसलिए है मानसून अहम –
देश के होने वाली कुल बारिश का 70 फीसदी ​हिस्सा मानसून का होता है वहीं सोयाबीन, कपास, दलहन, चावल जैसी फसलों की बुआई मानसून की बारिश पर निर्भर होता है। देश की इकोनॉमी में खेती का योगदान 15 फीसदी है, वहीं देश के करीब 130 करोड़ लोगों को इस क्षेत्र से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से रोजगार मिलता है।

मानसून का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर –
मानसून का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से है। किसानों से लेकर सरकार के बजट पर मानसून का असर दिखाता है। यदि मानसून कमजोर रहता है तो खाद्य (अनाज, फल-सब्जी) उत्पादन कम होगा। इससे किसानों की दशा और खराब होगी। महंगाई भी बढ़ेगी। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। इससे मोदी सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने वादे को झटका लग सकता है।

मानसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है। ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है वहीं कमजोर होने पर इसका उलटा असर होता है।