वनौषधि उद्यान के लिए डॉक्टरों के साथ सड़कों पर उतरेंगे विधायक लांडगे

एमआईडीसी व मनपा प्रशासन ने परस्पर बेची जमीन; ‘निमा’ ने दी अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी
पिंपरी। वनीकरण वृक्षारोपण, आयुर्वेदिक पेड़ों के जतन के 21 साल के करार पर दी गई जमीन की परस्पर बिक्री किये जाने का मामला सामने आया है। पिंपरी चिंचवड़ शहर के स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे वनौषधि उद्यान की जमीन बेचने के फैसले के विरोध में डॉक्टरों का नेतृत्व करनेवाले निमा संगठन ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। वहीं भाजपा के शहराध्यक्ष एवं विधायक महेश लांडगे ने भी वनौषधि उद्यान को बचाने के लिए डॉक्टरों के साथ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।
पिंपरी चिंचवड मनपा ने 2009 में वनीकरण के लिए आरक्षित रखी गई जमीनों में से भोसरी की एक एकड़ जमीन निमा को वनीकरण व वृक्षारोपण के लिए 21 सालों के लिए करार पर दी है। स्थायी समिति में 27 फरवरी 2008 को एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। यह जमीन पहले डम्पिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल में लायी जा रही थी। निमा के सदस्यों ने काफी मेहनत से यहां 450 आयुर्वेदिक पेडों का रोपण कर यहां वनौषधि उद्यान विकसित किया है। यहां रोपित पेड़ अब सात से आठ फीट ऊंचाई वाले हो गए हैं।
इसकी जानकारी देते हुए निमा यानी नेशनल इंटिग्रेटेड मेडिकल असोसिएशन के सचिव डॉ अभय तांबिले ने बताया कि, अचानक से कुछ लोग यहाँ आकर बता रहे हैं इस उद्यान की जमीन को एमआईडीसी ने बेच दिए जाने और उस जमीन पर उनका कब्जा बताया। जब निमा ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी मंगाई तब पता चला कि, यह जमीन एमआईडीसी के मालिकाने की है और उसे ओपन स्पेस के तौर पर मनपा को सौंपी गई थी। मनपा ने इस जमीन को वनीकरण के लिए 21 साल के करार पर निमा को दी थी।
2016 में एमआईडीसी ने मनपा को बिना बताए इस जमीन को कब्जे में ले लिया। साथ ही ओपन स्पेस की जमीन को कमर्शियल स्पेस में बदलकर उसकी बिक्री कर दी। जिसने यह जमीन खरीदी है उसने मनपा के पास वहां रोपित पेड़ों को हटाने की मांग की है। निमा ने मांग की है कि यहां काफी मेहनत से वनौषधि उद्यान विकसित किया है उसे बचाये रखने की मांग की है। तांबिले ने कहा कि, एमआईडीसी ने वनीकरण के लिए आरक्षित इस जमीन को कमर्शियल स्पेस में रुपांतरित कर उसकी बिक्री कर दी है। अचरज की बात है कि इस बारे में पिंपरी चिंचवड़ मनपा के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह दावा करते हुए निमा संगठन ने एमआईडीसी और मनपा प्रशासन की इस भूमिका के विवाद में अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।