संसद भवन के सामने ध्यानस्थ ‘गांधी’ जी को हटाया जाएगा, ब़ड़ा कारण ‘यह’ है

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : संसद भवन के बाहर  महात्मा गांधी की ध्यानस्थ प्रतिमा है। बापू की इस मूर्ति के आगे बैठकर ही सांसदों द्वारा सत्याग्रह के अंदाज में अपना विरोध जताने की परंपरा रही है, लेकिन यह परंपरा कुछ दिन के लिए टूटने वाली है, क्योंकि नए संसद भवन के निर्माण कार्य के लिए संसद परिसर में मौजूद पांच प्रतिमाएं अस्थायी रूप से विस्थापित की जाएंगी। इनमें महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा भी शामिल हैं। हालांकि इन प्रतिमाओं को निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दोबारा अपनी जगह स्थापित कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, नींव का पत्थर रखने के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय की गई है, लेकिन इसे अभी निर्णायक तिथि घोषित नहीं किया गया है।

निर्माण कार्य के लिए विस्थापित होने वाली पांच प्रतिमाओं में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ध्यान मुद्रा वाली प्रतिमा भी शामिल है। करीब 16 फुट ऊंची इस प्रतिमा को परिसर के अघोषित धरना स्थल का दर्जा हासिल है। इस मूर्ति का निर्माण विख्यात शिल्पकार रामसुतार ने किया था। राज्यसभा की वेबसाइट के मुताबिक, शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से संसद भवन को तोहफे में दी गई इस मूर्ति का अनावरण 2 अक्तूबर, 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने किया था।

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा धरोहर ढांचे से सटे नए संसद भवन का निर्माण दिसंबर में शुरू होने वाला है। अधिकारियों ने कहा कि काम शुरू होने से पहले गांधी प्रतिमा को संसद भवन के गेट नंबर-1 के सामने अपने मौजूदा स्थान से हटाना होगा।  प्रतिमा को स्थानांतरित करने का निर्णय अस्थायी रूप से लोकसभा अध्यक्ष द्वारा लिया जाएगा और प्रतिमा को स्थानांतरित करने के बाद ही इसका निर्माण शुरू होगा। गांधी की 16 फीट ऊंची प्रतिमा आगंतुकों को संसद भवन तक ले जाती है और सांसदों के जमावड़े, विरोध प्रदर्शन और प्रेस वार्ता का स्थल है।