विधानपरिषद के सभापति पद पर सत्तादल कर सकता है दावा

पुणे समाचार

विधानसभा के बाद अब विधानपरिषद में सत्तादल भाजपा ‘पॉवरफुल’ बन गया है। महाराष्ट्र विधानपरिषद की 11 सीटों के चुनाव निर्विरोध होने से सभागृह में भाजपा का संख्याबल 21 हो गया है। ऐसे में राष्ट्रवादी कांग्रेस के कब्जे में रहे विधानपरिषद के सभापति पद के लिए खतरा बढ़ गया है। संख्याबल के आधार पर सत्तादल इस पद पर दावा कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो शिवसेना भी कांग्रेस के कब्जे में रहे उपसभापति पद पर दावा करेगी।

राज्य चुनाव आयोग ने जुलाई के अंत में रिक्त हो रही परिषद की 11 सीटों के लिए 16 जुलाई को चुनाव की घोषणा कर दी है। जिन 11 सदस्यों की सदस्यता 27 जुलाई को समाप्त हो रही है उसमें से राष्ट्रवादी कांग्रेस के चार, कांग्रेस के तीन, भाजपा के दो और शिवसेना एवं भारतीय शेतकरी कामगार पक्ष (पीडब्ल्यूपी) के एक- एक सदस्य शामिल हैं। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर 11 सीटों में से सत्तादल भाजपा ने पांच, शिवसेना ने दो और आपसी सहमति से कांग्रेस ने दो और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने एक सीट पर प्रत्याशी खड़ा किया था।

भाजपा के अतिरिक्त उम्मीदवार पृथ्वीराज देशमुख के नामांकन वापस लेने के बाद विधानपरिषद की सभी 11 सीटों के चुनाव निर्विरोध होने तय है। फिलहाल विधानपरिषद में सत्तादल के खेमे में भाजपा के 21, शिवसेना के 12, निर्दलीय तीन वहीं विपक्ष के खेमे में राष्ट्रवादी कांग्रेस के 17, कांग्रेस के 17, लोकभारती, शेकापा, पीआरपी और निर्दलीय एक- एक सदस्य हैं। सभागृह में सत्तादल का संख्याबल बढ़ने से विधानपरिषद में भी भाजपा पॉवरफुल बन गई है। इस आधार पर विधिमंडल के आनेवाले शीत सत्र में भाजपा विधानपरिषद के सभापति पद पर दावा करने का मौका नहीं चुकेगी। वहीं शिवसेना को भी उपसभापति पद की दावेदारी मिल सकती है।