शारिरीक संबंध नहीं होने से हाईकोर्ट ने उसके विवाह को किया रद्द

मुंबई : पुणे समाचार

21 साल की उम्र में 23 साल के लड़के से रजिस्टार ऑफिस में जाकर शादी की, लेकिन उसके बाद से वो कभी युवक के घर रहने नहीं गई। दोनों के बीच पति पत्नी जैसे संबंध नहीं हुए। 9 साल के कड़े संघर्ष के बाद अब हाई कोर्ट ने इस विवाद को अमान्य मानते हुए रद्द किया है। न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर ने यह जजमेंट देते हुए कोल्हापुर की युवती को न्याय दिया है।

कोल्हापुर के यह दंपती शादी होने के बाद से 9 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। यह विवाह 2009 में तब हुआ जब युवती 21 साल की थी और युवक 23 साल का था। युवक ने युवती से कोरे कागज में साइन करवाया, तब युवती को समझा नहीं था, बाद में युवती को समझा कि यह शादी के कागजात हैं, जिसका युवती ने विरोध किया।

कोर्ट ने उसकी केस को मान्य किया और विवाह विच्छेदन के लिए अनुमति दी। तब कोर्ट ने धोखा धड़ी केस को मान्यता नहीं दी। वो शिक्षित है, हम किस कागजात में हस्ताक्षर कर रहे, इस की जानकारी युवती को ना होना मतलब काफी मुश्किल है। ऐसा कोर्ट ने कहा था।

विवाह में शरीरिक संबंध होना आवश्यक है लेकिन शादी के बाद से दोनों एक दिन भी साथ नहीं थे। इसलिए ऐसा विवाह निरर्थक है। युवक ने कोर्ट में युवती से संबंध होने की बात कही थी पर कोई सबूत पेश नहीं कर सका था।