26 जनवरी को राजपथ पर दिखेगी मराठी अस्मिता की झलक

मुंबई : ऑनलाइन टीम – हर साल 26 जनवरी यानी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह पर पूरी दुनिया की नजरें रहती हैं। इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग होने वाला है। इसमें सबसे अहम कोविड-19 से पैदा हुए हालात के कारण सामने आए बदलाव हैं। इसके अलावा, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो देशवासी पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में देखेंगे। कोरोना के चलते इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में अतिथियों और दर्शकों की संख्या कम रहेगी। जहां हर साल रिपब्लिक डे परेड देखने 1.15 लाख लोग मौजूद रहते थे, वहीं इस बार यह संख्या 25 हजार लोगों तक ही सीमित होगी।

बात करें महाराष्ट्र की झांकी को इस बार राजपथ में मराठी अस्मिता की झलक दिखेगी। जिसके मुताबिक एक खूबसूरत पेंटिंग पर काम शुरू है। जो की गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक राजमार्ग पर जुलूस के लिए अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसमें संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज की एक 8 फीट बैठी हुई मूर्ति है, जिन्होंने चित्ररथ की शुरुआत में वारकारी संप्रदाय की नींव रखी थी। ‘ज्ञानेश्वरी ग्रन्थ’ उनकी मूर्ति के सामने दिखाया गया है। रथ के केंद्र में हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रत्येक-भक्ति और शक्ति ’और वारकरी संप्रदाय के शीर्ष संत तुकड़ी महाराज के संदेश को व्यक्त करते हुए दो 8 फुट ऊंची प्रतिमाएँ हैं। इसके बाद राज्य में संतों और करोड़ों भक्तों के देवता पांडुरंगा की 8.5 फीट ऊंची मूर्ति को उनके पक्ष में खड़ा किया गया है। रथ के पिछले हिस्से में एक 8 फीट ऊंची किताब ‘संतवानी’ खड़ी की गई है और इस पर संतों के शब्द लिखे गए हैं। ये सभी प्रतिमाएं पूरी हो चुकी हैं और इनका रंग-रोगन किया जा रहा है।

रथ के दोनों ओर बाजूस संत जनाबाई, संत कान्होपात्रा, संत नामदेव, संत शेख महंमद, संत नरहरी, संत सावता, संत दामाजीपंत, संत गोरोबा, संत एकनाथ, संत सेना संत चोखामेला की प्रतिकृतियां होंगी। निर्माण काम के राहुल धनसारे ने कहा कि इन प्रतिकृतियों को बनाने का कार्य प्रगति पर है और इनका निर्माण अंतिम चरण में है।