मराठा आंदोलन: आरक्षण की आग में झुलस चुके हैं ये राज्य भी

पुणे | समाचार ऑनलाइन

संतोष मिश्रा

पूरा महाराष्ट्र मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की आग में झुलस रहा है. महाराष्ट्र बंद के बाद बुधवार को मराठा क्रांति मोर्चा ने मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, पालघर में बंद का ऐलान किया था. हांलाकि इसे हिंसक मोड़ मिलने से बंद स्थगित कर दिया गया. इस आंदोलन में अब तक दो आंदोलनकारियों और एक पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है. इनमें से काकासाहब शिंदे नामक युवक की जलसमाधि लिए जाने और जगन्नाथ सोनवणे नामक किसान की जहरीली दवा पीने से आज इलाज के दौरान मौत हुई है. वहीं पुलिसकर्मी लक्ष्मण काटगांवकर की औरंगाबाद की सुरक्षा में तैनाती के दौरान हार्ट अटैक से मौत हुई है.
कल की भांति आज भी जगह जगह तोड़फोड़, रास्ता रोको, आगजनी, पुलिस से झड़प की घटनाएं घटी हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आंदोलनकारियों से चर्चा की तैयारी दर्शायी है. आंदोलन की तीव्रता बढ़ते जाने से मुख्यमंत्री का आसन भी दोलायमान हो गया है. यह पहली बार नहीं है जब देश में आरक्षण की मांग को लेकर उग्र आंदोलन हुआ हो. इससे पहले भी जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू समुदाय आदि भी आरक्षण को लेकर उग्र प्रदर्शन कर चुके हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है. हिंसक आंदोलन और आरक्षण की आग में देश के पांच राज्य झुलस चुके हैं. आइये जानते हैं देशभर में आरक्षण के लिए आंदोलन का इतिहास  –
आज भी नहीं भुलाया जा सका है जाट आंदोलन
दो साल पहले हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन को देश अबतक नहीं भूल सका है. फरवरी 2016 में शुरू हुए इस आंदोलन हरियाणा के अधिकतर हिस्सों को हिंसा की आग में झोंक दिया था. लोगों की दुकानें लूटी गईं, गाड़ियों में आग लगाई गई, राहगीरों से मारपीट हुई, लोगों को मौत के घाट उतारा गया. यहां तक कि आंदोलनकारियों ने मुरथल में 10 महिलाओं के साथ कथित रूप से बदसलूकी की वारदात को अंजाम दिया. जाट आंदोलन की आग इतनी तेज थी कि हरियाणा के तमाम हिस्से करीब-करीब देश के दूसरे हिस्सों से कटने लगे. हरियाणा के पड़ोसी राज्यों पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान भी आंदोलन की आग में जलने लगा और इसके बाद केंद्र सरकार को इस आग को बुझाने के लिए सेना उतारनी पड़ी. करीब 15 दिनों बाद जब आंदोलन थमा तबतक राज्य को 34 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था.
गुर्जर आंदोलन की आग की भी पहुंची थी तपिश 

आरक्षण की मांग के लिए गुर्जर आंदोलन का अपना इतिहास रहा है. 2006 में पहली बार यह आंदोलन सुर्खियों में आया. 23 मार्च 2007 को पुलिस कार्रवाई में 26 लोग मारे गए. अगले साल यानी 2008 में ये आंदोलन फिर से चल पड़ा. दौसा से भरतपुर तक पटरियों और सड़कों पर बैठे गुर्जरों ने रास्ता रोक दिया और देश के अन्य हिस्सों से राज्य का संपर्क टूटने लगा. इसके बाद पुलिस से झड़प में 38 लोग मारे गए. पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर मई 2015 में एक बार फिर आंदोलन शुरू हुआ और यह उग्र हो गया. आंदोलनकारी सड़क पर उतर आये, गाड़ियों में आग लगाई जाने लगी, रेल की पटरियां उखाड़ दी गईं और रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया गया. करीब सप्ताह पर चले आंदोलन के दौरान रेलवे को अकेले 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.

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पाटीदार आंदोलन से झुलसा था गुजरात
जुलाई 2015 में गुजरात में हुए पाटीदार आंदोलन को लोग अभी तक नहीं भूले हैं. पटेल समुदाय को आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में दो दशक से ज्यादा समय से चल रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने जुलाई 2015 में उग्र रूप धारण कर लिया. पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन ने राज्य में हलचल मचा दी. राज्य के तमाम हिस्सों में पाटीदार समुदाय के युवा सड़क पर आ गए और धीरे-धीरे आंदोलन की आग तेज होने लगी. विसनगर में प्रदर्शन के दौरान एक भाजपा विधायक के कार्यालय में आग लगा दी गई. गाड़ियां फूंकी गईं. करीब दो महीने तक चले इस आंदोलन की आंच पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र तक पड़ी. करीब दो महीने के बाद जब आंदोलन शांत हुआ तबतक करोड़ों रुपये इसकी भेंट चढ़ चुके थे. बुधवार को इस मामले में अदालत ने हार्दिक पटेल और लालजी पटेल को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है.
आरक्षण की आग में सुलगा है दक्षिण भारत
आरक्षण की आग में सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, दक्षिण के राज्य भी झुलसते रहे हैं. आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय की आरक्षण की मांग काफी पुरानी है और वे लगातार ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग करते रहे हैं. फरवरी 2016 में कापू आरक्षण आंदोलन की मांग उग्र और हिंसक हो गई थी. प्रदर्शनकारियों ने पूर्वी गोदावरी जिले के तुनी रेलवे स्टेशन पर रत्नाचल एक्सप्रेस के चार डिब्बों में आग लगा दी. इससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई है. सड़कों पर बस सेवाएं ठप कर दी गईं, राहगीरों की गाड़ियों को तो नुकसान पहुंचाया ही गया, पुलिस वाहनों में भी आग लगाई गई. प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच हिंसक झड़प में सैकड़ों लोग घायल हुए. इस आंदोलन में भी करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ.
पहले मूक था अब हिंसक हो गया मराठा आंदोलन
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से चल रहा आंदोलन एक बार फिर शुरू हो गया है और यह हिंसक रूप धारण करता जा रहा है. इससे पहले राजयभर लाखों की तादाद में निकाले गए मूक मोर्चा की दखल न केव देशभर की बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ली गई. औरंगाबाद में काकासाहब शिंदे नामक आंदोलनकारी युवक के जलसमाधि लेने के बाद से मराठा आंदोलन उग्र हो गया है. इससे पहले मराठा मोर्चा की चेतावनी के चलते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर की सरकारी पूजा रद्द करनी पड़ी थी. अभी तक आंदोलन की भेंट दो जिंदगियां चढ़ चुकी हैं. दो और आंदोलनकारी खुदकशी का प्रयास कर चुके हैं. आंदोलनकारियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. कई जगह चक्का जाम भी हुआ है और कई गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई. आंदोलनकारियों ने सिर मुंडाकर अपना विरोध जताया.