महापौर से लेकर नगरसेवकों तक के रवैये पर उठे कई सवाल!

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन –  महापौर राहुल जाधव ने अपने एक साल के कार्यकाल में नगरसेवकों के सवाल-जवाब के अधिकार में बाधा पहुंचाई। शहर से संबंधित अधिकांश मुद्दे नगरसेवकों द्वारा पेश किए जाते हैं, मगर महापौर द्वारा उन्हें अस्वीकृत किए जाने से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर साधारण सभा में चर्चा ही नहीं हो सकी। बीजेपी के अब तक के कार्यकाल में सिर्फ 4-5 बार सवाल उठाए गए, मगर उन पर भी चर्चा को लेकर सत्ताधारियों की उदासीनता के चलते प्रस्तावों को मंजूरी नहीं मिल सकी। साधारण सभा बार-बार स्थगित किए जाने का सिलसिला जारी है।

फरवरी 2017 में मनपा में सत्ता में बदलाव हुआ तथा एनसीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी पहली बार मनपा में सत्तारूढ़ हुई व 23 मार्च 2017 को बीजेपी के कार्यकाल की पहली साधारण सभा हुई। बीजेपी के पहले महापौर नितिन कालजे के कार्यकाल में सवाल-जवाब की परंपरा कायम रही। वरिष्ठ नगरसेवकों से लेकर नवनिर्वाचित नगरसेवक तक साधारण सभा को लेकर उत्साहित रहे। फिर 4 अगस्त 2018 को राहुल जाधव दूसरे महापौर बने। तब से सभाओं में सवाल-जवाब का सिलसिला रुक गया है।

साधारण सभा के दस दिन पहले नगरसेवक महापौर के समक्ष मुद्दा पेश करते हैं। उसके बाद महापौर नगरसचिव विभाग को यह मुद्दा साधारण सभा कें एजेंडे में शामिल करने का निर्देश देते हैं। साधरण सभा में पहले आधे घंटे का समय लिखित रूप से दिए गए मुद्दों के लिए आरक्षित रखा जाता है। इससे प्रशासन के लिए पेश किए गए मुद्दे के विषय में जानकारियां संकलित करने में आसानी रहती है व कई प्रशासकीय कमियां उजागर होती हैं।
मंच का प्रभावशाली तरीके से इस्तेमाल किया जाता है

कई बार अन्यायग्रस्त नागरिकों को न्याय दिलाने हेतु इस मंच का प्रभावशाली तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। प्रश्नोत्तर के लिए सिर्फ आधे घंटे की अवधि निर्धारित होने के बावजूद पहले महापौरों द्वारा महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हेतु चार-पांच घंटों तक चर्चा की अनुमति दी जाती थी। मनपा के पिछले 36 साल के कार्यकाल में इस प्रकार के प्रश्न पूछने व प्रशासन पर प्रभाव डालने वाले नगरसेवक बड़ी संख्या में देखे गए। सवाल-जवाब के दौरान कई बार साधारण सभा का माहौल गर्मा जाता था, मगर पिछले एक साल में इस कामकाज में भारी बदलाव देखा गया। प्रश्न स्वीकार करने का अधिकार महापौर का होता है। एक सदस्य एक सभा में पांच सवाल पूछ सकता है, मगर महापौर ने नगरसेवकों के इस अधिकार में बाधा पहुंचाई। उनके कार्यकाल में सत्ताधारी एवं विपक्षी पार्टियों के कई नगरसेवकों ने अनेक मुद्दे महापौर के समक्ष पेश किए, मगर उन्हें स्वीकृति नहीं मिल सकी। सवाल स्वीकारे न जाने को लेकर कोई पुख्ता कारण भी बताए न जाने से नगरसेवक भी भ्रमित हो गए हैं। नगरसेवकों में चर्चा है कि महापौर मनपा प्रशासन की त्रुटियों पर पर्दा डालने की दृष्टि से ऐसा कर रहे हैं।