सपना दिखाकर दो वर्षों में मनपा ने 30 करोड़ कमाए

पुणे, 25 नवंबर – समान पानी वितरण का सपना दिखाकर वाटर टैक्स और प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा दिए गए. वाटर टैक्स में वर्ष 2016-17 में 22 प्रतिशत की वृद्धि की गई. अगले 30 वर्षों के लिए हर वर्ष इसमें 5 प्रतिशत वृद्धि का सुझाव भी दिया गया. जबकि योजनाओं के लिए प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि कर पुणेवासियों से करोड़ों रुपए का फंड वसूला गया. इस बढ़ाए गए टैक्स से दो वर्षों में 30 करोड़ रुपए से अधिक मनपा ने वसूल किया. पिछले तीन वर्षों में करोड़ों रुपए के टैक्स वसूल किए जाने के बावजूद 24 घंटे पानी सप्लाई योजना का काम अपना आकार नहीं ले पाया. वर्ष 2021 तक योजना पूरी करने की योजना केवल कागजों पर ही रही. यह योजना अटकी या समय पर पूरी नहीं हुई तो इसका असर मनपा पर होगा. आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.

विभाग से मिलने वाली पानी की सीमा तय हो गई
शहर की भौगोलिक रचना और बढ़ाए गए परिसर के कारण पिछले कई वर्षों से शहर में पानी सप्लाई में बाधा पहुंच रही है. जनसंख्या बढ़ने पर जल संसाधन विभाग से मिलने वाली पानी की सीमा तय हो गई. मनपा द्वारा पानी बढ़ाकर देने की मांग का जल संसाधन विभाग का विरोध जारी है. तत्कालीन मनपा आयुक्त कुणाल कुमार ने मनपा में 24 घंटे पानी सप्लाई योजना को मूर्तरूप देने का निर्णय लिया था. इस योजना के लिए पुणेवासियों की प्रॉपर्टी टैक्स और वाटर टैक्स बढ़ाए जाने के निर्णय के खिलाफ विरोधियों ने विरोध में मतदान किए थे. विरोधियों का कहना है कि पुणेवासियों को जब योजना का पानी मिलने लगे तभी से इसका पैसा लिया जाए. लेकिन बहुमत के जोर पर सत्ताधारियों ने पुणेवासियों की जेब में सेंध लगा दी.

बजट में 301 करोड़ 40 लाख रुपए का प्रावधान
इस योजना से पुणेवासियों को 24 घंटे पर्याप्त पानी उचित दबाव से मिलेगा और अनावश्यक स्टॉक करने व अपव्यय को रोकने के लिए मीटर लगाने का निर्णय लिया गया. पानी के लीकेज की तलाश कर वहां पर रिपेयरिंग करना संभव हो और बिल पद्धति के जरिये पानी के इस्तेमाल लेखा परीक्षण से हो और बर्बाद होने वाले पानी की बचत का सपना दिखाया गया. मार्च 2019 के आखिर तक 25 फीसदी काम पूरा होना अपेक्षित था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन कार्यों के लिए इस वर्ष बजट में 301 करोड़ 40 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के वक्त में इस योजना के तहत पानी टंकियों के निर्माण कार्यों की शुरुआत हुई जबकि पानी पाइपलाइन और मीटर बिठाने का काम भाजपा के सत्ताकाल में शुरू हुआ. बड़े धूम-घड़ाके और विज्ञापनबाजी के बावजूद इस योजना को गति नहीं मिल पाई.

अब तक 170 करोड़ रुपए खर्च
नगरसेवकों की उदासीनता, प्रशासन की कार्यप्रणाली और योजना के अभाव के कारण वाटर पाइपलाइन और मीटर का पेंडिंग कार्य एक नहीं दर्जन भर कारणों की वजह से बुरी हालत में है. इस योजना पर अब तक 170 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. टंकी और पाइपलाइन के काम पर यह खर्च हुआ है. योजना के तहत 2018 में काम की शुरुआत हुई थी. पिछले दो वर्षों में अब तक 125 किलोमीटर की पानी पाइपलाइन डाली गई है. जबकि 63 फीसदी काम अधूरे हैं.