आम हो गया खास 

समाचार ऑनलाईन – गर्मी के मौसम में स्वाद के मुरीद रसीले आम को प्राथमिकता देते हैं. अपनी अनगिनत खूबियों के चलते फलों का यह राजा आम होकर भी हर किसी के लिए बेहद खास है.  एक वक्त था, जब आम का रस चखना हर किसी के बस की बात नहीं थी. वक्त बदला, तो यह सभी की आसान पहुंच में हो गया. अपने रसभरे स्वाद और ढेरों किस्मों के बल पर आम ने हर भारतीय के दिल में जगह तो बनाई ही, दुनिया के दूसरे देशों में भी लोगों का प्यार भी पाया. अनगिनत गुणों से भरपूर आम, अब आम नहीं बेहद खास हो चुका है. इसे खास बनाने के लिए ऐसे कई कारण हैं, जो शायद आप रोजमर्रा के उपयोग के दौरान  भी याद नहीं रख पाते. उन्हीं गुणों से आपका परिचय कराने की एक कोशिश…

आम, भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा रहा है. हजारों साल पहले इसकी खेती भारत, बर्मा के सीमावर्ती इलाकों में शुरू हुई थी. आम की फसल के लिए हमारे देश की जलवायु सबसे बढ़िया रही है. पाकिस्तान, श्रीलंका, मालद्वीप, बांग्लादेश के साथ अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मेडागास्कर और वेस्टइंडीज जैसे दूरवर्ती देशों तक में आम की पहुुंच है. आज वे भी हमारी तरह आम के रसीले स्वाद के गुलाम हैं.

आम पवित्र है!

घर में पूजा हो या शादी-ब्याह का आयोजन, आम के पत्तों से बने बंदनवार लगाने की युगों से चली आ रही परम्परा आज भी कायम है. हमारे शास्त्रों में भी आम को पवित्र वृक्ष की संज्ञा दी गई है. कलश में इसकी पत्तियों और हवन के लिए आम क़ी सूखी लकड़ियों का उपयोग इसकी पवित्रता का प्रमाण है. कुछ स्थानों पर हवन के दौरान कुंड में घी डालने का काम भी आम की पत्तियों द्वारा पूरा किया जाता है.

चटनी, अचार और टॉफियां 

लंगड़ा, दशहरी, चौंसा, सफेदा, अल्फांसो, तोतापरी, मलीहाबादी और बादाम जैसी अनगिनत किस्मों में उपलब्ध आम के उपयोग भी कई किस्म के हैं. गर्मी आते ही आम के पेड़ में बौर के बाद आई अमियां बच्चों को काफी पसंद हैं, तो महिलाएं भी पीछे नहीं. वे अपनी रसोई में तरह-तरह की चीजें बनाने में इनका इस्तेमाल करती हैं. अमियों से बनी चटनी व अचार का स्वाद तो शायद ही कोई भूल पाए. इसके अलावा कच्चे आम से खंटाई और अमचूर भी तैयार किए जाते हैं. खट्टे-मीठे आम-पापड़ (अमावट) ने तो हर किसी के बचपन को मिठास से भरा है, तो अमरस से हर भारतीय थाली आज भी सजी हुई है. आजकल तो आम के शर्बत और अचार भी बने बनाए मिलने लगे हैं. यहां तक कि बच्चों की टॉफियों से लेकर हाजमें की गोलियों तक में आम का स्वाद है.

औषधि है आम

फलों के राजा आम को पहचानने वाले इसके सेहतमंद गुणों का बखान दिल खोलकर करते हैं. नेत्र रोग, स्कर्बी, क्षय रोग, उच्च रक्तचाप, अल्सर, कब्ज, पीलिया और पेट के रोगों से निदान दिलाने में आम का महत्व किसी से छुपा नहीं. आम की गुठली में भी अमीनो एसिड, प्रोटीन, वसा, फाइबर और टेनिन पाया जाता है, इसलिए गठली के गूदे से बने चर्ण के सेवन से दमा, पेचिस, श्वेत प्रदर व पाइल्स में आराम मिलता है. इसके अलावा कई दवाइयों में भी आम की गुठली का उपयोग होता है. कच्चे आम का पना लू लगने पर बहुत राहत देता है. गुर्दे की पथरी को गलाने में भी कच्चा और पक्का आम काम करता है. आम व दूध का संतुलित सेवन पाइल्स में आराम पहुंचाता है. आम का मुरब्बा खाने से खून बढ़ता है, क्योंकि इसमें, भरपूर मात्रा में आयुरन पाया जाता है. इतना ही नहीं, पके आम भी काफी सेहतमंद हैं. इससे भरपूर मात्रा में आयरन, पानी, वसा, फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन, फोस्फोरस, थाएसिन, नाएसिन, विटामिन-सी, खनिज लवण और ऊर्जा मिलती है. आम की छाल के बने काढ़े का इस्तेमाल जख्म मरनेे की कारगर दवा के रूप में भी होता