बाढ़ से तबाह किसानों को पशुधन की सहायता करें मंडल

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन –  भीषण बाढ़ से सांगली, कोल्हापुर के हजारों किसान तबाह हो गए हैं। उनकी फसल और तबेले का पशुधन उनकी आंखों के सामने बर्बाद हो गये। उन्हें रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं व अन्य सहायता चहुंओर से मिली और मिल रही है। मगर अब उनके सामने बड़ा प्रश्न पशुधन का है। ऐसे हालातों में गणेशोत्सव और दहीहंडी मनाने वाले मंडलों को आगे आना चाहिए। यह बताते हुए विधायक महेश लांडगे ने सार्वजनिक मंडलों से किसानों को गाय, भैंस, बैल उपलब्ध कराने की अपील की है।
विधायक लांडगे ने बैलगाड़ी स्पर्धाओं पर रोक लगाने की याचिका दायर करने वाले पेटा नामक प्राणी प्रेमी संगठन से किसानों को पशुधन उपलब्ध कराने में योगदान देने की टिप्पणी भी की है। उन्होंने न केवल मंडलों से किसानों की मदद करने की अपील की है बल्कि उसकी शुरुवात खुद से की है। गणपति व गौरी त्यौहार पर होम मिनिस्टर पूजा के अध्यक्षता वाले शिवांजली सखी मंच द्वारा भोसरी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किये जानेवाले कार्यक्रमों को रद्द का उसके आयोजन का खर्च बाढ़ग्रस्त किसानों की मदद के लिए देने का फैसला किया है। इससे पहले उन्होंने बाढ़ग्रस्त इलाकों में जीवनावश्यक वस्तुओं से लदे 40 ट्रक भेजे हैं। उन्होंने और उनके समर्थक नगरसेवक व कार्यकर्ताओं ने करीबन 15 हजार बाढ़ग्रस्त लोगों की मदद की है।

उन्होंने यह विश्वास जताया कि, उनके विधानसभा क्षेत्र के सार्वजनिक गणेश मंडल और दहीहंडी मंडल बाढ़ग्रस्त किसानों को पशुधन उपलब्ध कराने को प्राथमिकता देंगे। पश्चिम महाराष्ट्र के साथ अपने ऋणानुबंध का खुलासा करते हुए विधायक लांडगे ने कहा कि, कोल्हापुर में कुश्ती के गुर सीखे हैं, तब मैंने जाना कि किसान अपने पशुधन को अपने बच्चों की तरह संभालते हैं। बाढ़ की विपदा के दौरान अपने जानवरों को अकेले कैसे छोड़ें, यह सोचकर कई किसानों ने अपना घर और तबेला नहीं छोड़ा। पशुधन की कीमत और अहमियत मैं भलीभांति समझता हूं। भोसरी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में आज भी पशुपालन किया जाता है। मेरे घर भी पशुधन है, यह बताना भी नहीं भूले। बाढ़ग्रस्त इलाकों में मदद कार्य के दौरान जानकारी सामने आयी कि अकेले सांगली जिले के किसानों ने 10 हजार से भी ज्यादा पशुधन खोया है। कोल्हापुर में तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा होगा। इसलिए विधायक लांडगे ने सार्वजनिक मंडलों से अपील की है कि, दहीहंडी और गणेशोत्सव के तामझाम का खर्च बचाकर बाढ़ग्रस्त किसानों को पशुधन उपलब्ध कराएं।