Maharashtra | वह लोकतंत्र की हत्या नहीं थी क्या ? शिवसेना भड़की

मुंबई (Mumbai News), 7 जुलाई : (Maharashtra) विधानमंडल (Legislature) में राज्य की समस्या पर चर्चा होनी चाहिए। पहले से ही अधिवेशन (session) की अवधि छोटी है, इसमें विरोधियों दवारा अड़ंगा डाला जाए लगे तो क्या करे ? मराठा आरक्षण (Maratha Reservation), ओबीसी (OBC) के राजनीतिक आरक्षण (political reservation) को लेकर बाहर सरकार के खिलाफ भोंपू बजाना, सरकार को आरोपों के कटघरे में खड़ा करना, लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर जब विधानसभा में चर्चा का वक्त आता है तो हंगामा करते हुए पलायन करना यह विरोधियों की कौन सी रीत है ? यह सीधा सवाल शिवसेना (Shiv sena) ने किया है।

महाराष्ट्र (Maharashtra) की विरोधी पार्टी हर बार केंद्र का पक्ष लेकर राज्य में मराठा, ओबीसी (OBC) समाज के साथ खड़े होने का दावा करती है, यह समझ नहीं आ रहा है। इसी दावे में उन्होंने अपने खुद के 12 विधायक एक साल के लिया गंवा दिया है। वे नाइलाज है। उन्हें लगता है कि यह लोकतंत्र की हत्या है। लेकिन राज्यपाल महोदय ने 12 नामनियुक्त सदस्यों की सूची साल भर से दबाये बैठे है वह लोकतंत्र की हत्या नहीं है क्या ? यह सवाल शिवसेना (Shiv sena) ने सामना में किया है।

महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) में सोमवार को अभूतपूर्व स्थिति देखने को मिली। संसदीय लोकतंत्र के इतिहास पर काला धब्बा लगाने वाले घटना के रूप में याद किया जाएगा। भाजपा (BJP) के विधायक गुंडों की तरह सामने आकर गाली-गलौज करने की शिकायत विधानसभा (Assembly) के प्रोटेम स्पीकर भास्कर जाधव (Bhaskar Jadhav) ने की है। इस मामले में भाजपा (BJP) के 12 विधायकों को साल भर के लिए निलंबित कर किया गया है। मानसून अधिवेशन किसी तरह से दो दिन का होता है। इसमें से पहला दिन हंगामा, धमकी, अपशब्द में बर्बाद चला गया। विरोधियों ने दूसरे दिन खास चमत्कार किया। फिर अधिवेशन की अवधि बढ़ाने, सरकार अधिवेशन बुलाने से घबरा रही, ऐसी नारेबाजी किस लिए ?

भाजपा के नेता व विधायक सभागृह में और बाहर जो धमकी और दहशत की भाषा बोल रहे है वह महाराष्ट्र विधानमंडल (Maharashtra Legislature) के परिपेक्ष में शोभा नहीं देता है। जो विरोध करे उसे सबक सिखाना, ईडी (ED), सीबीआई (CBI) का इस्तेमाल कर अंदर डालना, आपका भुजबल या देशमुख करेंगे, ऐसी धमकी से वह खुद के कपडे खुद उतार रहे है।

विरोधियों को लगता है कि 12 विधायकों का निलंबन लोकतंत्र की हत्या है।

लेकिन विधायकों के निलंबन की कार्रवाई पहले भी विधानसभा में घटी है।

जब 2017 में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) मुख्यमंत्री थे तब कांग्रेस-राष्ट्रवादी के 19 विधायकों को निलंबित किया गया था।

वह लोकतंत्र की सामूहिक हत्या थी।

तब किसी को नहीं लगा।

 

 

 

 

 

 

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