Maharashtra | आदिवासियों के लिए बनी योजना केवल कागजों पर ; हाईकोर्ट ने व्यक्त किया दुःख

मुंबई (Mumbai News), 14 सितंबर : Maharashtra | आदिवासियों के कल्याण के लिए बनी योजना का फायदा केवल कागजों पर सिमटा (Maharashtra) रहता है। इस तरह का दुःख व्यक्त करते हुए आदिवासी क्षेत्रों (Tribal Areas) में कुपोषण (Malnutrition) की वजह से किसी की मौत न हो इसके लिए क्या उपाय किये गए ? इसकी जानकारी देने का निर्देश हाई कोर्ट (High Court) ने सोमवार को राज्य सरकार (State Government) को दिया।

 

मेलघाट (Melghat) में आज भी कुपोषण की वजह से छोटे बच्चों की मौत हो रही है।  ऐसे में इस तरह के कल्याणकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं है।  यह चिंता चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता (Chief Justice Dipankar Dutta) और जस्टिस जी एस कुलकर्णी (Justice G S Kulkarni) के खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान व्यक्त की।

अगस्त से सितंबर के बीच मेलघाट में 40 बच्चों ने अपनी जान गंवाई है।  जबकि कुपोषण और डॉक्टर की कमी के कारण 24 नवजातों की मौत (Death) हो गई।  यह जानकारी मेलघाट में कार्यरत याचिकाकर्ता ने कोर्ट   को दी है।  इस पर कोर्ट (Court) ने सरकार से पूछा है कि इतनी बड़ी संख्या में मौत हुई है फिर आपकी योजना का क्या उपयोग है ? केवल कागजों पर दिखाने के लिए।  इस मौतों की वजह और उसके लिए किये गए उपाय की जानकारी हमें जाननी है।  मेलघाट में कुपोषण, इसकी वजह से गर्भवती महिला, स्तनपान कराने वाली मां छोटे बच्चे की मौत पर संज्ञान लेने के लिए 2007 में याचिका दाखिल की गई थी।

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी (Ashutosh Kumbhakoni) ने बताया था कि  यहां पर सरकारी मेडिकल ऑफिसर (Government Medical Officer) नहीं है।  गढ़चिरोली, गोंदिया क्षेत्र में आज भी रिक्त पद खाली पड़े है।  सरकार के एफिडेविट में इस बात का जिक्र किये जाने की जानकारी कोर्ट के ध्यान में लाई थी।  इन क्षेत्रों में आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की नियुक्ति करने के निर्देश कोर्ट (Court) ने दिए है।  इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

 

 

 

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