Maharashtra Malnutrition | कुपोषण की चपेट में महाराष्ट्र ; कुपोषित बालकों की संख्या में राज्य देश में पहले स्थान पर 

मुंबई (Mumbai News) : कुपोषण (Malnutrition) की समस्या का देश लंबे समय से सामना कर रहा है।  गरीबी और अन्य वजहों से छोटी उम्र में बच्चों और माताओं को उचित आहार (Maharashtra Malnutrition) नहीं मिलने पर यह समस्या खड़ी होती है।  गरीबी की वजह से लाखों बच्चों माताओं को पोषक आहार नहीं मिलने से जन्मजात कुपोषण (Congenital malnutrition) का शिकार हुए बालकों की संख्या काफी अधिक है।  हाल ही में सूचना के अधिकार  के तहत सरकार दवारा दिए गए आंकड़ों से स्थिति की गंभीरता सामने आई है।  इनमें भी सबसे गंभीर बात यह है कि सर्वाधिक कुपोषित बालकों की संख्या महाराष्ट्र (Maharashtra Malnutrition) में है।

इसे लेकर एक न्यूज़ पेपर ने खबर प्रकाशित किया हैं।  सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल का जवाब महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development Welfare) ने दिया है।  मिली जानकारी के अनुसार देश में 33 लाख से अधिक कुपोषित बच्चे है।  इनमें से आधे से अधिक बच्चे अति कुपोषित है।  महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात इन तीन राज्यों में कुपोषित बालकों (Malnourished child) की संख्या सबसे अधिक है।  जबकि महाराष्ट्र (Maharashtra) सबसे आगे है।  2011 में हुई जनगणना के अनुसार देश के कुल 46 करोड़ से अधिक बच्चे है।  पिछले वर्ष की तुलना में अति कुपोषित बालकों की संख्या करीब 19%  बढ़ी नज़र आ रही है। नवंबर 2020 में यह संख्या 1 लाख 27 हज़ार थी।  यह बढ़कर अक्टूबर 2021 तक 17 लाख 76 हज़ार हो गई।

 

महाराष्ट्र (Maharashtra) में कुपोषित बालकों की संख्या 6 लाख 16 हज़ार है।  इनमें से अति कुपोषित बालकों की संख्या करीब 4 लाख 58 हज़ार है।  जबकि 1 लाख 57 बालक मध्यम कुपोषित (Moderately malnourished) है।  इस सूची में बिहार (Bihar) दूसरे स्थान पर है।  यहां कुल 4 लाख 75 हज़ार बालक कुपोषित है।  इनमें अति कुपोशियत बालकों की संख्या 1 लाख 52 हज़ार है। जबकि 3 लाख 24  हज़ार बालक मध्यम रूप से कुपोषित है।  तीसरे स्थान पर गुजरात है।  गुजरात में कुल 3 लाख 20 बालक कुपोषित है।  इनमें से 1 लाख 65 हज़ार बालक अति कुपोषित है जबकि 1 लाख 55 हज़ार बालक मध्यम कुपोषित है।

 

इस समस्या को दूर करने के लिए अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospital) के सीनियर बालरोग विशेषज्ञ अनुपम सिब्बल (Anupam Sibal) ने कहा कि तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।  उन्होंने कहा कि कुपोषण की वजह से किसी भी बीमारी का खतरा अधिक होता है।  ऐसे में बालकों को कुपोषण से दूर करने के लिए गर्भधारण से ही उपाय कारण की आवश्यकता है।  स्तनपान करने वाले माताओं को पोषक आहार मिलना आवश्यक है। इसके लिए छह महीने के बच्चे को सही तरह से स्तनपान कराना और 5 वर्ष की उम्र तक उन्हें संतुलित आहार देना काफी महत्वपूर्ण है।

 

देश में कुपोषित बच्चों की बढ़ती संख्या की वजह से ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत चार  स्थान और  नीचे आ गया है।  2020 में भारत 94वे स्थान पर था।  अब वह अब 101वे स्थान पर  आ गया है।  इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार (Central Government) ने 2018 में कम वजन, एनीमिया बीमारी से पीड़ित बालकों, किशोरों और महिलाओं पोषण अभियान शुरू किया।

 

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