महाराष्ट्र : जत तालुका में काकासाहेब सावंत ने एक ही पेड़ पर उगाये 22 प्रकार के देशी/विदेशी आम

सांगली : ऑनलाइन टीम – जाट तालुका के किसान काकासाहेब सावंत एक आम के पेड़ पर 22 तरह के आम उगाने में कामयाब रहे हैं। इनमें केशर, हापुस, सिंधू, रत्ना, सोनपरी, नीलम, निरंजन, आम्रपाली, क्रोटोन, तैवान, लालबाग, दशेरी, राजापुरी, बेनिश, पायरी, बारोमाशी, वनराज, मलगोबा, मल्लिक्का, तोतापुरी
जैसी देशी और कुछ विदेशी आम की किस्में शामिल हैं।

सावंत ने एक ही पेड़ पर विभिन्न प्रजातियों की 44 कटिंग की। इनमें से 22 किस्मों की रोपाई की गयी थी। इस साल 22 किस्मों के आम एक ही पेड़ पर आये हैं। हालांकि इनमें से कुछ आम टूट गए।  22 किस्मों के करीब 700 आम लगाए गए। कुछ किस्मों में 4-4 दर्जन आम और कुछ किस्मों में 2-3 दर्जन आम लगाए गए थे।

पहले साल में ही सावंत ने एक ही पेड़ पर आम की 22 किस्मों का उत्पादन कर आम की खेती में एक नया प्रयोग सफलतापूर्वक किया है। सांगली जिले का जाट तालुका सूखा प्रवण क्षेत्र है। उसी तालुका के अंतराल गाँव के काकासाहेब सावंत ने अपनी नौकरी छोड़ दी और गाँव पहुँचे और खेती करने लगे। बाद में उन्होंने श्री बनशंकरी के नाम से एक नर्सरी शुरू की। इस तालुका में कृषि प्रकृति की कृपा पर निर्भर है। इसके बावजूद काकासाहेब सावंत ने बड़े साहस के साथ नर्सरी की शुरुआत की। उन्होंने आईटीआई से डिप्लोमा किया है। काकासाहेब अपने निर्णय से संतुष्ट हैं।

उनका परिवार आज नर्सरी व्यवसाय में अच्छी तरह से स्थापित है। पुणे में कई ऑटोमोबाइल कंपनियों में एक दशक तक काम करने के बाद अब काकासाहेब सावंत एक नर्सरी चलाते हैं। इनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये है। ऐसा करते हुए सावंत ने 3 साल पुराने आम के पेड़ पर एक प्रयोग किया। सावंत ने 22 तरह के आम लगाए। खास बात यह है कि यह प्रयोग पहले ही प्रयास में सफल रहा।

सावंत ने अपनी खेती को आम की खेती और गैर आम की खेती नाम से दो समूहों में बांटा है। केसर की खेती करीब 10 एकड़ में होती है। शेष 10 एकड़ में चीकू, अनार, कस्टर्ड सेब, हल्दी आदि की खेती की जाती है। सावंत ने विभिन्न सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाकर नर्सरी शुरू की है। उन्होंने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत और अपने काम को आगे बढ़ाते हुए सफलता हासिल की है। जाट तालुका में अब आम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। काकासाहेब को इस साल बड़ा ऑर्डर मिला है। प्रत्येक पौधा 40 रुपये से 70 रुपये में बेचा जाता है।

सावंत हर साल करीब 2 लाख आम के पौधे बेचते हैं। इसके अलावा, वे एक लाख कस्टर्ड सेब, रतालू, चीकू, नींबू और अन्य फलों के पौधे बेचते हैं। सावंत की नर्सरी से पौध लेने के लिए परभणी, बीड, उस्मानाबाद, बुलढाणा, कोल्हापुर, बीजापुर, बेलगाम आदि से लोग आते हैं। इस साल उन्हें 4 लाख पौध रोपण के ऑर्डर मिले हैं। मैकेनिक का छोटा सा काम करने के बजाय अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने वाले काकासाहेब सावंत की सफलता की कहानी कई लोगों को प्रेरित करती है।