Maharashtra | लवासा मामले पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा ; फायदे के लिए कानून में सुधार करने का आरोप 

मुंबई (Mumbai News), 24 सितंबर : Maharashtra | लवासा प्रोजेक्ट (Lavasa Project) को क़ानूनी सहमति मिले इसके लिए बॉम्बे टेनेन्सी एंड एग्रीकल्चर लैंड एक्ट (Bombay Tenancy and Agricultural Land Act) 2005 में सुधार किया गया और सरकार ने यह कानून पहले की तरह लागू कर दिया है।  केवल शरद पवार (Sharad Pawar) के लिए क़ानून में सुधार किये जाने का आरोप वाली जनहित याचिका वकील नानासाहेब जाधव (Advocate Nanasaheb Jadhav) ने हाई कोर्ट (High Court) में दायर की है।  लेकिन इस याचिका पर फैसला गुरुवार को हाई कोर्ट (Maharashtra) ने पेंडिंग रखा।

 

शरद पवार, लवासा प्रोजेक्ट और एचसीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत गुलाबचंद (Ajit Gulabchand) को फायदा पहुंचाने के लिए 2004 में विधानसभा (Assembly) के एक अधिवेशन में बॉम्बे टेनेन्सी एंड एग्रीकल्चर लैंड एक्ट  में सुधार करने का प्रस्ताव लाया गया था।  इस विधेयक का सबने विरोध किया।  नारायण राणे (Narayan Rane) ने इस विधेयक पर कहा है कि एक व्यक्ति, एक उद्योगपति और एक प्रोजेक्ट (Maharashtra) के लिए यह विधेयक लाया गया है।

उस वक़्त तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख (Vilasrao Deshmukh) ने संबंधित विधेयक पर चर्चा करने के लिए संयुक्त समिति के पास भेजने के प्रस्ताव सभागृह में रखा था।  इसे सर्वानुमति से मंजूरी मिल गई।  लेकिन इसके बाद यह विधेयक संयुक्त समिति के पास न जाकर 2005 में विधानसभा का ग्रीष्मकालीन अधिवेशन में राष्ट्रवादी नेता डॉ. राजेंद्र शिंगणे (Dr. Rajendra Shingne) ने इस प्रस्ताव को रद्द करने और विधेयक को मंजूर करने की विनती विधानसभा के अध्यक्ष  से की और उन्होंने इसे मंजूरी दे दी और 1 जून 2005 से संबंधित कानून में सुधार पूर्वलक्षित प्रभाव से लागू कर दिया। इसके कारण गैर क़ानूनी लवासा प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई।

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता (Chief Justice Dipankar Dutta) व जस्टिस गिरीश कुलकर्णी (Justice Girish Kulkarni) की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।  कोर्ट (Court) में मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

नीलामी को स्थगित करने की मांग

पुणे हिल स्टेशन (Pune Hill Station) पर बनाये गए लवासा प्रोजेक्ट में कई नियमों का उल्लंघन किये जाने की वजह से यह चर्चा में रहा है।  शरद पवार परिवार का हित संबंध होने व सुप्रिया सुले (Supriya Sule) की कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में निवेश किया था। इसलिए इस प्रोजेक्ट के लिए प्लॉट देने हेतु कानून में बदलाव किया गया।  उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) उस वक़्त जलसंपदा मंत्री थे।
उन्होंने पद का दुरूपयोग करके पर्यावरण नियम व अन्य नियमों को ताक पर रखकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी।  इसलिए इस प्रोजेक्ट को गैर क़ानूनी घोषित किया जाए और यहां चल रही नीलामी पर रोक लगाई जाए। यह मांग याचिका के जरिये की गई थी।

 

 

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