औरंगाबाद, 28 जून : मुंबई हाई कोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ दवारा शिक्षक बनने के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता (टीईटी ) परीक्षा पास नहीं करने वाले शिक्षकों के संबंध में 89 याचिका पर फैसला सुनाये जाने से राज्य के 25 हज़ार से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई है। इसमें से 200 से अधिक शिक्षकों ने राहत पाने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। इसी बीच अपात्र शिक्षकों को अतिरिक्त समय न देकर उन्हें बर्खास्त कर पात्र बेरोजगार युवकों को नौकरी देने की मांग करते हुए डी टी एड, बी एड स्टूडेंट एसोसिएशन अपात्र शिक्षकों के खिलाफ अपना पक्ष रखेंगे। सरकार ने चार सप्ताह तक वेट एंड वाच की पॉलिसी पर चलने का निर्णय लिया है।
मुफ्त व सख्त शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 23 (1 ) के प्रावधानों के अनुसार टीईटी पास उम्मीदवार शिक्षक बनने के लिए पात्र होते है। राज्य सरकार ने 12 फरवरी 2013 को टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया था। बाद में केंद्र सरकार दवारा के अधिकार कानून 2017 में बदलाव किये जाने के बाद राज्य सरकार ने टीईटी परीक्षा पास करने के लिए नौकरी करने वाले शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक की डेडलाइन दी थी।
हाई कोर्ट ने टीईटी को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है. इस वजह से अनुदान पाने वाले 8 हज़ार और गैर अनुदान वाले स्कूलों पर पिछले कई सालों से काम करने वाले 18 हज़ार शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई है। हाई कोर्ट दवारा दिए गए निर्णय पर चार सप्ताह तक रोक लगी है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 200 से अधिक शिक्षकों ने याचिका दायर की है।
– शिवराम म्हस्के /माधव लोखंडे, समन्वयक, टीईटी पास नहीं करने वाले शिक्षक
केन्द्र सरकार ने टीईटी के संदर्भ में कानून बनाया है। सी विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले आदेश दिया था। ऐसे में हमारे संगठन के पात्रताधारकों को न्याय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। इसके लिए तैयारी चल रही है। उलटे अब हमारे लिए आसान हुआ है। जो पात्र नहीं थे उन्हें नौकरी में लिया कैसे गया ? यह सवाल पूछा जाएगा। साथ ही अपात्र शिक्षकों को मंजूरी देने वाले शिक्षणाधिकारी पर केस दर्ज करने की मांग की जाएगी।
– संतोष मगर, अध्यक्ष, डी टी एड, बी एड स्टूडेंट एसोसिएशन
चार सप्ताह बाद निर्णय
हाई कोर्ट ने टीईटी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही दिए गए निर्णय पर चार सप्ताह तक रोक लगा दी गई है। इसलिए राज्य सरकार अवधि समाप्त होने के बाद इस पर निर्णय लेगी। तब तक इस विषय में किसी तरह का आदेश नहीं दिया जाएगा। यह जानकारी प्राथमिक शिक्षक विभाग के संचालक दत्तात्रय जगताप ने दी है।