पिंपरी, 1 जून : पुणे के आधुनिक इतिहास में पानशेत डैम फूटने की 12 जुलाई 1961 की घटना को काला दिवस माना जाता है। डैम फूटने से शहर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। उस बाढ़ के पानी में छलांग लगाकर कई लोगों की जान बचाने वाले तत्कालीन पुलिसकर्मी महादेव रामभाउ शिंदे (उम्र 88 ) का वृद्धावस्था में कासारवाड़ी में निधन हो गया है। वह अपने पीछे तीन बेटे, एक बेटी, बहु, दामाद और रिश्तेदारों से भरापूरा परिवार छोड़कर गए है।
आंबेगांव तालुका के अवसरी के रहने वाले महादेव शिंदे की प्राथमिक शिक्षा अवसरी में जबकि बाकी की पढाई खेड़ में हुई थी। कुश्ती पसंद होने की वजह से वह तंदुरुस्ती के मामले में आगे थे। 1952 में वे पुलिस सेवा से जुड़ गए। वानवडी पुलिस स्टेशन में हवलदार के रूप में नियुक्त हुए थे। 12 जुलाई 1961 में पानशेत डैम फुट गया। घटना के वक़्त महादेव शिंदे येरवड़ा परिसर में ड्यूटी कर रहे थे। बाढ़ में कई लोग खुद की जान बचाने के लिए तड़प रहे थे। इसी दौरान शिंदे ने पानी में छलांग लगाकर कई लोगों की जान बचाई। इस दौरान बाढ़ में बहकर आया सोने का गहना शिंदे ने थाने में जमा कराया था। बाढ़ खत्म होने के बाद एक महिला ने गहने खो जाने की शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन आई। उस वक़्त उन्हें गहने का डब्बा दिया गया। शिंदे की ईमानदारी और कई लोगों की जान बचाने की वजह से तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने शिंदे को सम्मानित किया था।
महादेव शिंदे के बेटे प्रमोद शिंदे ने इस संबंध में कहा कि हमारे पिता शरीर से मजबूत लेकिन अंदर से बहुत नरम दिल थे। इसलिए पैरालाइसिस के झटके से वह उबर पाए। जिला पुलिस का मैनुअल उनकी जुबान पर रहता था। मौत से दो घंटे पहले उन्होंने मेरी बेटी राधिका को चित्र बनाकर दिया था। कहां क्या तकलीफ हो रही है बताया था।
राजेंद्र शेलके ने बताया कि पुलिस के रूप में उन्होंने अच्छा काम किया। रिटायरमेंट के बाद समाजसेवा की। साथ ही जनसंपर्क बढ़ा कर कई लोगों को जोड़ा।