लव, सेक्स और धोखा! शादी का वचन देकर, शारीरिक संबंध बनाने के सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ‘यह’ बड़ा फैसला

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन- परस्पर से सहमति से शारीरिक संबंध बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि, “अगर महिला यह जानती है कि, उसका पार्टनर उसके साथ भविष्य में शादी नहीं करेगा; इसके बावजूद वह उस पुरुष के साथ शारीरिक संबंध रखती है, तो इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा.” एक महिला द्वारा इस सन्दर्भ में दायर याचिका डियर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट खारिज करते हुए, यह बड़ा फैसला सुनाया है.

क्या है मामला ?

सेल्स टैक्स विभाग के सहायक आयुक्त रही महिला ने सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट के एक अधिकारी पर शादी का झांसा देकर उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था. पीड़ित महिला इस अधिकारी को साल 1998 से पहचानती थी. महिला का आरोप है कि अधिकारी ने उससे 2008 में शादी करने का वायदा किया था. इस विश्वास पर उसने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए. लेकिन साल 2014 में अधिकारी ने शादी से इंकार कर दिया. इसके बाद भी साल 2016 तक इन दोनों के बीच प्रेम संबंध कायम रहा. लेकिन कुछ दिनों बाद, महिला को पता चला की उसके प्रेमी अधिकारी ने किसी अन्य महिला के साथ सगाई कर ली है, तब उसने कथित अधिकारी के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई.

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी. वाय. चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने मामले की सुनवाई की है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, दोनों के बीच आठ साल से प्रेम संबंध थे और दोनों ने सहमति से सेक्स किया. महिला को पता था कि इन रिश्तों से भविष्य में कुछ भी हासिल नहीं होगा, तब भी उसने शारीरिक संबंध बनाए रखा. इसलिए अदालत ने महिला की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता.