Lok Adalat | लोक अदालत की पहल से एक बार फिर से बसा 27 जोड़ों का घर-संसार

पुणे (Pune News) : लोक अदालत (Lok Adalat ) के मौके पर पारिवारिक कलह (family feud) की वजह से अलग होने की कगार पर खड़े 27 जोड़ों का संसार फिर से बस गया। फिर से एक बार साथ आने पर उन्हें फैमिली कोर्ट (family court) से प्रशस्ति पत्र दिया गया। (Lok Adalat)

 

यहां के फैमिली कोर्ट में लोक अदालत (Lok Adalat) का आयोजन किया गया। इसमें पारिवारिक स्वरूप के 32 दावों का निपटारा किया गया है। इनमें से 13 दावों का ऑनलाइन निपटारा किया गया, जबकि 19 दावों का निपटारा पक्षकारों की उपस्थिति में किया गया। फैसला सुनाए गए 27 मुकदमों के जोड़ों ने तलाक (Divorce) न लेकर फिर से एक होने का फैसला किया है। इसलिए उसने उन्हें एक सर्टिफिकेट दिया गया।

मुख्य न्यायाधीश सुभाष काफरे (Subhash Kafre) की अवधारणा के तहत यह पहली ऐसी पहल थी। यहां की अदालत (Court) में आठ हजार 394 पारिवारिक स्वरूप के दावे लंबित हैं। इनमें से 2015 से 118 लंबित दावों को निपटारे के लिए लोक अदालत के समक्ष रखा गया था।

 

मुख्य न्यायाधीश सुभाष काफरे, न्यायमूर्ति हितेश गणात्रा, न्यायमूर्ति मनीषा काले, न्यायमूर्ति निरंजन नाईकवाड़ी और न्यायमूर्ति राघवेंद्र अराध्ये ने पैनल न्यायाधीशों के रूप में कार्य किया। फैमिली कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, एड. वैशाली चांदने, विभयकुमार शाहपुरकर, दीपक जोशी, शरद कुलकर्णी, मिलिंद तिडके, प्रकाश जाधव, एड. मधुगीता सुखात्मे, एड. वंदना घोडेकर, एड. जाकिर मनियार, एड. गुलाब गुंजाल, एड. निवेदिता कुंटे भी पैनल में थीं। लोक अदालत के लिए प्रबंधक सुप्रिया केलकर, उप प्रबंधक वैशाली जोशी, स्टाफ अनीता निंबालकर सहित अन्य कर्मचारियों ने सहयोग किया।

 

प्रशंसापत्र ‘नंदा सौख्य भरे’ उन जोड़ों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया गया है, जिन्होंने अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के बाद एक साथ रहने का फैसला किया है। हम आगामी लोक अदालत (Lok Adalat) में भी इस पहल को जारी रखेंगे।

– सुभाष काफरे, चीफ जस्टिस, फैमिली कोर्ट

 

 

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