कोलकाता. ऑनलाइन टीम : मनोरंजन ‘सामाजिक अनुभव’ से एक ‘निजी अनुभव’ बनता जा रहा है, जहां सब कुछ आपके मोबाइल या लैपटॉप में क़ैद है। कोरोनाकाल में यह और अपरिहार्य की स्थिति में आ गया। इससे सिनेमा जगत में बेचैनी है, छटपटाहट है। फिल्में रिलीज करने से पहले निर्माता परहेज कर रहे हैं, कारण है आमदनी। एक फिल्म बनाने में जितने पैसे खर्च होते हैं, उसकी वापसी का खतरा वे मोल नहीं लेना चाहते। फिलहाल सिनेमाघरों को अधिकतम 50 प्रतिशत सीटों के उपयोग की अनुमति है। अक्टूबर में सिनेमाघर खुलने के बाद से कई फिल्में रिलीज हुई हैं, लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
यहां तक कि क्रिसमस और नए साल पर भी दर्शक सिनेमाघरों में नहीं आए। इस स्थिति को देखते हुए पश्चिम बंगाल के सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के मालिकों ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि उन्हें हॉल की सभी सीटों को भरने की अनुमति दी जाए। उन्होंने आय का हवाला देते हुए अपनी बात रखी है। सिनेमाघर के मालिक और ईस्टर्न इंडिया मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य रतन साहा ने कहा कि सिनेमा घरों में दर्शकों की कम संख्या के कारण फिल्म निर्माता बंगाल में फिल्में रिलीज करने में हिचक रहे हैं।
रतन साहा ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध किया गया है और सिनेमाघरों के मालिकों ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का फैसला लिया है। ‘हमारा मानना है कि अधिकतम 50 प्रतिशत सीटों की शर्त समाप्त करने से हमें कम से कम सिनेमाघर के संचालन पर होने वाला खर्च पूरा करने में मदद मिलेगी।