वकील का ‘काला कोट’ और ‘सफ़ेद शर्ट’ पहनना ब्रिटेन की देन, पढ़े क्या हैं इसकी पूरी कहानी

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – ‘काला कोट’ और ‘सफ़ेद शर्ट’ वकील की पहचान बन चूका है। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है वकील काला कोट ही क्यों पहनते हैं। इस तरह पुलिस खाकी वर्दी ही क्यों पहनते है, डॉक्टर सफ़ेद कोर्ट ही क्यों पहनते है। ये कोई फैशन नहीं है, इस हर एक पहनावे के पीछे कुछ न कुछ कहानी जरूर है। आज हम आपको बताएँगे कि वकील ‘काला कोट’ और ‘सफ़ेद शर्ट’ ही क्यों पहनते है।

एक रिसर्च के मुताबिक, वकालत की शुरुआत वर्ष 1327 में एडवर्ड तृतीय ने की थी और उस समय ड्रेस कोड के आधार पर न्यायाधीशों की वेशभूषा तैयार की गई थी। उस समय में जज अपने सर पर एक बालों वाला विग पहनते थे। वकालत के शुरुआती समय में वकीलों को चार भागों में विभाजित किया गया था जो कि इस प्रकार थे- स्टूडेंट (छात्र), प्लीडर (वकील), बेंचर और बैरिस्टर। ये सभी जज का स्वागत करते थे।

शुरुआत में अदालत में सुनहरे लाल कपड़े और भूरे रंग से तैयार गाउन पहना जाता था। उसके बाद वर्ष 1600 में वकीलों की वेशभूषा में बदलाव आया और 1637 में यह प्रस्ताव रखा गया कि काउंसिल को जनता के अनुरूप ही कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद वकीलों ने लंबे वाले गाउन पहनने शुरू कर दिए। वर्ष 1694 में ब्रिटेन की महारानी क्वीन मैरी की चेचक से मृत्यु होने के बाद उनके पति राजा विलियम्स ने सभी न्यायधीशों और वकीलों को सार्वजनिक रुप से शोक मनाने के लिए काले गाउन पहनकर इकट्ठा होने का आदेश दिया। आगे इस आदेश को कभी भी रद्द नहीं किया गया, जिसके बाद से आज तक यह प्रथा चली आ रही है कि वकील काला गाउन पहनते हैं। अधिनियम 1961 के तहत अदालतों में सफेद बैंड टाई के साथ काला कोट पहन कर आना अनिवार्य कर दिया गया।