मुंबई : समाचार ऑनलाइन – सैफ अली खान की फिल्म ‘लाल कप्तान’ आज रिलीज हो गई है। ‘लाल कप्तान’ मूवी की कहानी सदियों पुरानी पृष्ठभूमि पर बनी हुई है। इसमें हर तरफ लड़ाई, झगड़ा, मार-काट और खून खराबा दिखाया गया है। सैफ अली खान ने एक नागा साधु का किरदार निभाया है, जिसे सब गोंसाई बोलते हैं। दूर-दूर के गांव के लोग उसका नाम सुनते ही सहम जाते हैं। वो बदला लेना चाहता है। सालों से एक क्रूर शासक रहमत खान (मानव विज) की तलाश में जुटा हुआ है। फिल्म में सैफ के किरदार और अभिनय दोनों को ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही हैं।
फिल्म की कमजोर कड़ी –
एनएच 10 के बाद निर्देशक नवदीप सिंह इस बार पीरियॉडिक मूवी लेकर आए, जिसमें आज के जमाने की झलक देखने को मिलती है। अगर ये कहें कि उन्होंने ‘लाल कप्तान’ में एक एक्सपेरिमेंट करने की कोशिश की है तो ये कहना गलत नहीं होगा, लेकिन निराश करने वाली बात ये है कि दर्शकों को ये एक्सपेरिमेंट पसंद नहीं आ रहा है। नवदीप इस फिल्म में वो कमाल नहीं कर पाएं, जो उन्होंने अपनी पहले की मूवीज में किया है।
फिल्म की पूरी कहानी बदला लेने के ऊपर गढ़ी गई है, लेकिन अंत में आपको जब पता चलता है कि ये बदला किसलिए था, तब तक देर हो चुकी होती है। 160 मिनट लंबी इस फिल्म में कई बार दर्शक बोर हो जाते हैं और ऊब भी जाते है।
फिल्म की अच्छाई –
फिल्म में कई सीन बेहद उम्दा तरीके से फिल्माए गए हैं। वही सीन्स फिल्म की जान हैं। इसके अलावा कहानी और किरदार सभी एकदम अलग प्रकार के हैं। नागा साधुओं को लेकर लोगों में अलग तरीके का डर रहता है और फिल्म में इसे बेहद शानदार तरीके से फिल्माया गया है। फिल्म में सैफ अली खान और दीपक डोबरियाल ने शानदार एक्टिंग की है। इसके अलावा फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बहुत अच्छी है।
अगर आप सैफ के इस फिल्म को देखने सिनेमाघरों में जा रहे है तो आपको बहुत सब्र रखनी पड़ेगी। सिनेमाघर में ढाई घंटे तक बैठना पड़ेगा। पुणे समाचार की ओर से इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार दिए जाते है।
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