कुलोद गांव की सोच शहरों से भी ऊंची, 62 सालों से बेटियां जा रही स्कूल

झुंझुनू : समाचार ऑनलाईन – शहर और गांव में रहने वाले लोगों के बीच अक्सर सोच का ही फर्क होता है। शहर के लोग थोड़े आधुनिक ढंग से सोचते है तो गांव के लोग ग्रामीण परंपराओं के हिसाब से सोचते और चलते हैं। लेकिन एक गांव ने अपनी बेहतरी सोच से गांव को लेकर बनी धारणा बदल दी है। राजस्थान में झुंझुनू जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर कुलोद गांव में माता के भक्त स्कूल में बेटियों को 12वीं तक निशुल्क शिक्षा मुहैया करा रहे हैं। इस स्कूल में बेटियों को दोपहर का भोजन, किताबें और स्कूल ड्रेस तक मुफ्त में दे रहे हैं। इसी सत्र से स्मार्ट क्लास बनाकर कंप्यूटर के माध्यम से पढ़ाने की भी शुरुआत कर दी गई है। इस सारे काम पर कुलोद माता के भक्त हर साल करीब 20 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। पंद्रह किलोमीटर क्षेत्र के गांवों से बच्चों को लाने के लिए बसों की निशुल्क व्यवस्था है। फिलहाल यहां 112 लड़कियां और करीब 80 लड़के पढ़ रहे हैं।

स्कूल ही नहीं, कॉलेज तक खोल दिए
शिक्षा को लेकर शेखावाटी के सेठ-साहूकारों से आजादी के पहले से ही यहां काम शुरू कर दिया था, स्कूल ही नहीं, कॉलेज तक खोल दिए थे। गुढ़ागौड़जी जाने वाले मार्ग पर पहाड़ी की गोद में बसा कुलोद खतेहपुरा गांव में दुर्गा रूपी कुल देवी कुलोद माता का मंदिर हुआ करता था। उन दिनों क्षेत्र के लोगों अपने बच्चों को इसलिए नहीं पढ़ पाते थे क्योंकि 15 किलोमीटर तक कोई स्कूल नहीं था। इसलिए 1957 में श्री दुर्गा मंदिर प्रबंध समिति से जुड़े भक्तों ने मंदिर परिसर में ही आठवीं तक का स्कूल शुरू किया। उन दिनों लोग आसानी से बच्चों को नहीं भेजते थे, इसलिए गांवों की चौपालों पर नुक्कड़ नाटक, कठपुतली जैसे शो कर शिक्षा का महत्व बताया जाता था।

स्कूल में बच्चों की संख्या 250 से पार कर गई
इस तरह बच्चे स्कूल आने लगे। संख्या बढ़ती गई और एक बार तो यह संख्या 250 को पार कर गई। ट्रस्ट ने अपनी स्कूल में बारहवीं तक के बच्चों के लिए भोजन की मुफ्त व्यवस्था कर रखी है। अंतरराष्ट्रीय संगठन फूड फॉर हंगरी फाउंडेशन की ओर से यह व्यवस्था की जा रही है। वर्ष 1970 में इसे अनुदानित स्कूल बना दिया गया था। वर्ष 2011 में सरकार ने अनुदानित स्कूलों की व्यवस्था समाप्त कर दी थी और यहां के शिक्षकों को सरकारी स्कूलों में समायोजित कर दिया। इस बीच माता के भक्तों ने इसे फिर से चलाने का फैसला किया। नए सिरे से शिक्षकों को रखा गया। वर्तमान में यह स्कूल फिर से बच्चों से भर गया है। प्रिंसिपल सहित यहां 19 जनों का स्टाफ है। इसी साल स्कूल के लिए नया प्रिंसिपल मूलचंद गुर्जर को नियुक्त किया है जो करीब 36 साल की सरकारी सेवा के बाद रिटायर हुए हैं।