मधुमक्खियों के हमले से किडनी फेल होने की नौबत

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – आदित्य बिरला मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने एक ऐसे व्यक्ति की किडनी फेल होने से बचा ली, जिसे मधुमक्खियों ने हमला करके बुरी तरह घायल कर दिया था। यह 24 वर्षीय व्यक्ति अपने परिवार के साथ हिल स्टेशन की सैर पर निकला था कि वहीं उनपर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। उस व्यक्ति की बाईं आंख समेत उसके पूरे शरीर पर मधुमक्खियों द्वारा डंक मारे जाने के निशान पड़ गए। एक स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक चिकित्सा दिए जाने के बावजूद उसकी स्थिति बिगड़ने पर उसको आदित्य बिरला मेमोरियल अस्पताल में शिफ्ट किया गया।
इस बारे में हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉ. कल्याण गौड़ ने बताया कि, मरीज के पूरे शरीर में सूजन और मधुमक्खी के डंक के घाव मौजूद थे और वह असहनीय दर्द से कराह रहा था। उसका दिल धड़कने की रफ्तार बढ़ गई थी और वह अपनी बाईं आंख की रोशनी कम होने तथा मूत्र का रंग लाल होने की शिकायत कर रहा था। उसे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया और नसों के जरिए तरल पदार्थ चढ़ाने तथा अन्य सहायक दवाएं देने की शुरुआत की गई।
मरीज़ के खून की जांच वाली रपटों में मांसपेशियों को गंभीर क्षति (मांसपेशियों के एंजाइम्स में वृद्धि) पहुंचने की बात सामने आई और उसके मूत्र की जांच से पता चला कि मूत्र में मांसपेशियों के प्रोटीन (मायोग्लोबिन्यूरिया) मौजूद हैं। उसके शरीर के अंदर इंट्रावैस्कुलर रक्तस्राव और लीवर में घाव भी हो गया था। उपचार शुरू होने के बाद मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ और स्थिर हालत में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. कल्याण गौड़ ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा, “मधुमक्खी के काटने के बाद रैब्डोमायोलिसिस (मांसपेशियों की गंभीर चोट) बहुत कम मामलों में देखने को मिलती है और अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो किडनी फेल हो सकती है; यहां तक कि मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। लोगों को मधुमक्खी के छत्तों वाले इलाकों के आसपास घूमने-फिरने से बचना चाहिए और यदि मधुमक्खियां हमला कर ही देती हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
आदित्य बिरला मेमोरियल अस्पताल की सीईओ रेखा दुबे ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, ऐसे मामलों को उच्चस्तरीय चिकित्सा केंद्रों में स्थानांतरित किया जाना बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि रोगी की जटिलताएं बढ़ने न देने और मृत्यु का जोखिम घटाने के लिए उसका उपचार जल्द से जल्द शुरू हो जाना चाहिए। मधुमक्खी के डंक से पीड़ित मरीजों को मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम वाले किसी तृतीयक देखभाल संस्थान में जल्द से जल्द भर्ती कराने से उनकी अस्वस्थता और मृत्यु दर कम हो सकती है।