बिहार में फिर अपहरण बना धंधा…10 वीं का छात्र अगवा, मांगी 10 लाख फिरौती  

गोपालगंज. ऑनलाइन टीम : बिहार में एक नहीं, हाल में घटित कई मामले साबित कर रहे हैं कि वहां कानून का डर खत्म हो गया है। चोरी, लूटपाट, हत्या, अपहरण सब शुरू हो गया है। सुशासन बाबी खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे की तर्ज पर सिर्फ हवाई बातें कर रहे हैं। ताजा मामला गोपालगंज जिले का है। कक्षा 10 के एक छात्र का सोमवार को कुछ अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया और सकुशल छोड़ने के बदले परिवार से 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी। छात्र के दादा  होम्योपैथिक डॉक्टर और पिता मनोज कुमार व्यवसायी हैं।

मीरगंज थाना के अंतर्गत मानिकपुर गांव की यह घटना है। छात्र करीब 6.30 बजे कोचिंग सेंटर जा रहा था। उसी समय अपहरणकर्ता ने उसे पकड़ लिया। कुछ देर बाद छात्र के पिता को फोन आया। उसके पिता से फिरौती के रूप में 10 लाख रुपये की मांग की गई।  जांच के दौरान, मानिकपुर गांव के पास एनएच 531 पर छात्र की स्कूटी मिली है। पिता ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा, “उस फोन कॉल के बाद, अपहरणकर्ताओं ने पीड़ित परिवार से दोबारा संपर्क नहीं किया। पुलिस विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर रही है।

बिहार में लालू यादव का कार्यकाल, यानी 15 वर्ष। तकनीकी रूप से तो इसमें से 8 साल तक उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहीं लेकिन इस दौरान सत्ता लालू ही चलाते रहे। ये वो दौर था, जब बिहार में हत्या और अपहरण एक ‘उद्योग’ बन चुका था, एक कारोबार था, पैसे कमाने का एक जरिया था। राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं का ऐसा गठजोड़ इसके पहले कहीं देखा ही नहीं गया।  अगर सिर्फ लालू राज के अंतिम वर्ष 2005 की ही बात करें तो उस साल 3471 हत्याएं हुईं। साथ ही 251 अपहरण की वारदातें हुईं और बलात्कार की 1147 घटनाएं हुईं। इसके एक साल और पीछे जाएं तो 2004 में बिहार में हत्या के 3948 मामले आए थे। इसी तरह रंगदारी के लिए अपहरण 411 घटनाएं और बलात्कार की 1390 घटनाएं दर्ज की गई थीं। लोगों को सुशासन बाबू से काफी उम्मीदें हैं। मगर उम्मीदें टूट भी रही हैं। अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। ताजा मामला इसका उदाहरण है।