कमलनाथ का छिंदवाड़ा में नया ‘सियासी एजेंडा’

भोपाल, 2 जनवरी (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में मुख्यमंत्री कमल नाथ नए सियासी एजेंडे को आगे बढ़ने में लगे हुए हैं। यह एजेंडा भाजपा के उस अभियान की काट के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके सहारे भाजपा ने न केवल अपना वोटबैंक बढ़ाया है, बल्कि स्थायी भी कर लिया है।

देश में छिंदवाड़ा मॉडल की हमेशा चर्चा होती रही है, यह ऐसा मॉडल है, जिसने पिछड़े छिंदवाड़ा को विकसित जिले के तौर पर पहचान दिलाई है। राज्य के विधानसभा चुनाव में तो छिंदवाड़ा मॉडल को चुनावी मुद्दे के तौर पर प्रचारित किया गया और कमल नाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो पूरे राज्य में छिंदवाड़ा मॉडल लागू करने की बात हुई। यह विकास का मॉडल माना जाता है।

एक तरफ छिंदवाड़ा में जहां विकास का मॉडल आगे बढ़ रहा है, वहीं कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र रहे और वर्तमान में बेटे नकुल नाथ के संसदीय क्षेत्र और अपने विधानसभा क्षेत्र के जिले छिंदवाड़ा में नए सियासी एजेंडे पर काम हो रहा है। यह सियासी एजेंडा पूरी तरह भाजपा के एजेंडे की काट के तौर पर देखा जा रहा है।

छिंदवाड़ा जिले के सिमरिया गांव में स्थित हनुमान मंदिर, इसके अलावा कई अन्य मंदिरों का निर्माण कार्य और उसके बाद गौ संरक्षण के अभियान को कमल नाथ के नए सियासी एजेंडे के तौर पर देखा जा रहा है। यहां के कांजी हाउस को गौशाला में बदलने का अभियान शुरू हुआ है। इसके चलते न तो सड़कों पर निराश्रित मवेशी नजर आएंगे और न ही गौवंश की दुर्दशा लोगों केा हैरान करेगी।

इतना ही नहीं, गौमूत्र का अर्क और गोबर के कंडे सहित अन्य उत्पादों को बाजार तक भेजा जाएगा, साथ ही गौवंश पालकों से भी यह सामग्री खरीदे जाने की योजना है।

भाजपा को लगता है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने वचनपत्र में जो बातें कही थीं, उन्हें पूरा नहीं कर पा रही है, इसलिए कमल नाथ सरकार सिर्फ ‘दिखावे और लफ्फाजी’ पर काम कर रही है।

पार्टी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में हर गांव में गौशाला की बात कही थी, मगर एक साल बाद एक भी गांव में गौशाला नहीं बन पाई है, वहीं छिंदवाड़ा में वे जो कर रहे हैं, वह महज दिखावे के अलावा कुछ नहीं है। जनता से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करना चाहिए, जो कमलनाथ सरकार कर नहीं पा रही है। उनकी सिर्फ ‘आई वाशिंग’ की कोशिश है यह।

भाजपा के आरोपों को कांग्रेस नकारती है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जा्रदर का कहना है कि कमल नाथ धार्मिक व्यक्ति है, वे धर्म को कभी राजनीति से जोड़ते नहीं है, वचनपत्र में जो वादे किए गए थे, उन्हें पूरा किया जा रहा है। वे भाजपा के एजेंडे पर काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने तो इस पर कई वर्षो से काम किया है, यह बात अलग है कि राज्य में सरकार बनने के बाद वचन पत्र में जो वादे किए थे, उनसे आगे भी कई काम किए गए हैं। रामपथ गमन पर अमल हो रहा है, मंदिरों के पुनर्जीवन के लिए बजट दिया है, वहीं गौशालाएं बनाई जा रही हैं।

राजनीति के जानकारों की मानें तो कमलनाथ राज्य में कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने और अपनी सरकार की मजबूती के लिए एक साथ कई मोर्चो पर काम कर रहे हैं। उन्हीं में से एक है, धर्म और गाय का मसला। भाजपा लगातार राम और गाय के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करती रही है, कमल नाथ इसका जवाब अपने तरह से देना चाहते हैं और उसी को सत्ता में आने के बाद तेजी से बढ़ा रहे हैं। आने वाले समय में एक तरफ जहां छिंदवाड़ा के विकास मॉडल की चर्चा होगी तो वहीं धर्म और गाय के संरक्षक के तौर भी छिंदवाड़ा की पहचान बनेगी।

राज्य के हर गांव में गौशाला बनाने की कवायद जारी है। इसी बीच वन समितियों के माध्यम से 78 गौशालाएं बनाई जानी हैं, तीस लाख रुपये प्रति गौशाला की दर से बनने वाली 50 गौशालाओं का 15 करोड़ रुपये का वित्त पोषण लघु वनोपज संघ और शेष 28 गौशालाओं के लिए आठ करोड़ चार लाख रुपये का वित्त पोषण वन सुरक्षा समितियों को दी जाने वाली लाभांश की राशि से किया गया है।

गौवंश को सतत चारा आपूर्ति के उद्देश्य से संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सहयोग से चारा उत्पादन के लिए उपयुक्त वन क्षेत्रों का चयन किया जा रहा है।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, संयुक्त वन प्रबंधन चितरंजन त्यागी ने बताया कि वन विभाग द्वारा गौशालाओं के लिए स्थल का चयन उस क्षेत्र में उपलब्ध अनाश्रित गौवंश के आधार पर किया गया है। सौ गायों की क्षमता वाली प्रत्येक गौशाला के लिए 30 लाख रुपये प्रति इकाई की दर से प्राक्कलन तैयार किए गए हैं। इसमें गायों के शेड, चारे के लिए गोदाम और जल की व्यवस्था की गई है। अनाश्रित गायों को आश्रय मिल जाने से उन्हें उपचार और आहार की सुविधा मिलेगी। साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।