जज्बा: हिम्मत और जज्बे से गाँववालों ने पथरीले और बंजर पहाड़ों में लहलहा दी हरियाली

 

-गुजरात-महाराष्ट्र सीमा पर 45 डिग्री ढलान वाले पथरीले पहाड़ों पर कर रहें है खेती

समाचार ऑनलाइन – गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा पर एक ऐसा गाँव हैं, जहाँ के लोगों के पास खेती करने के लिए समतल जमीन नहीं है, क्योंकि यहाँ की अधिकतर जमीन पथरीली है. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज यहाँ के लोगों ने 45 डिग्री ढलान वाले पहाड़ों को ही अपना खेत बना लिया है. इतना ही नहीं बंजर और पथरीली जमीन को लहलहाते खेतों में तब्दील कर दिया है. आसपास के गाँव वाले आज यहाँ के लोगों के जज्बे को सलाम कर रहे हैं.

80 प्रतिशत जमीन पथरीली

भौगौलिक दृष्टि से नवापुर क्षेत्र की 80 प्रतिशत जमीन पथरीली होने के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्र में हैं. इसलिए यहां  खेती करना ईतना आसान नही हैं. लेकीन मुख़्य रूप से यहा पर निवासरत आदिवासी समुदाय के कृषकों ने यह संभव कर दिखाया है. ऐसी ढलान भरी पहाड़ियों पर ट्रैक्टर ले जाना मुश्किल हैं, तो वे बैलों से खेती कर रहे हैं.

आठ महीने दूसरे शहरों में करते हैं मेहनत मजदूरी

सामान्यतः यह कृषक मज़दूर वर्ग हैं, जो साल भर में से आठ महीने दूसरे शहरों मे  काम करने चले जाते हैं. बारिश के मौसम में काम न मिलने पर वे अपने गांव वापिस लौट आते हैं और इन पहाड़ियों पर खेती करते हैं. इस बारिश की खेती से ही वे अपने साल भर का अनाज उगा लेते हैं.

6 गांव जिनका पूरा क्षेत्र पहाड़ी

दोनों राज्यों के बॉर्डर पर ऐसे लगभग 6 गांव हैं, जो बंजर और पथरीली पहाड़ियों से घिरे हैं.