Javed Akhtar | जावेद अख्तर विवादों के घेरे में, शिवसेना ने सामना के माध्यम से लगाई फटकार; संघ को लेकर दिए गए बयान की वजह से विवाद

मुंबई (Mumbai News) : शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने शिवसेना (Shiv sena) के मुखपत्र सामना (Saamana) के संपादकीय में वरिष्ठ गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) की आलोचना की है। कट्टरपंथियों की परवाह न करते हुए उन्होंने ‘वंदे मातरम’ गाया है। फिर भी संघ की तालिबान (Taliban) से तुलना करना हमें मान्य नहीं हैं, इन शब्दों में शिवसेना ने जावेद अख्तर (Javed Akhtar) पर निशाना साधा है।

 

शिवसेना (Shiv sena) ने आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की तालिबान से तुलना करना ठीक नहीं है।

 

जावेद अख्तर ने क्या कहा था ?

 

तालिबान (Taliban) का यह कृत्य बर्बर और निंदनीय है। इसी तरह, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल का समर्थन करने की मानसिकता तालीबानी प्रवृत्ति के हैं, इस विचारधारा का समर्थन करनेवाले लोगों को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है।

 

क्या है आज के लेख में

 

अभी हमारे देश में कोई भी किसी को तालिबानी कह रहा है। क्योंकि अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी शासन (Taliban regime) अर्थात समाज और मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पाकिस्तान, चीन जैसे राष्ट्रों ने तालिबान शासन का समर्थन किया; क्योंकि इन दोनों देशों में मानवाधिकार, लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं बचा है। भारत (India) की मानसिकता ऐसी नहीं दिखती। किसी भी तरह से हम अविश्वसनीय रूप से सहिष्णु हैं। हालांकि कुछ लोग लोकतंत्र (Democracy) की आड़ में उत्पीड़न लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी सीमाएं सीमित हैं। इसलिए, आरएसएस की तुलना तालिबान से करना उचित नहीं है।

 

जावेद अख्तर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। जावेद ने इस देश में कट्टरता, मुस्लिम समुदाय में चरमपंथी विचारधारा और देश की मुख्यधारा से हटाने की उनकी नीति की आलोचना की है। देश में जब-जब धर्मांध, देशद्रोही विकृत्ति उठकर आई है तब-तब जावेद अख्तर ने कट्टरपंथियों और देशद्रोहियों के मुखौटे फाड़ दिए हैं। कट्टरपंथियों की परवाह किए बिना उन्होंने ‘वंदे मातरम’ गाया है। फिर भी हम तालिबान से संघ की तुलना से सहमत नहीं हैं। यह कहना पूरी तरह गलत है कि संघ और तालिबान जैसे संगठनों के लक्ष्यों में कोई अंतर नहीं है।

 

संघ की भूमिका और उनके विचारों के साथ मतभेद हो सकते हैं, और इन मतभेदों को अक्सर जावेद अख्तर द्वारा उठाया जाता है। चूंकि उनकी विचारधारा धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए यह कैसे कहा जा सकता है कि ‘हिंदू राष्ट्र’ की अवधारणा का समर्थन करने वाले तालिबान जैसे विकृत हैं ?

 

अफगानिस्तान में क्रूर तालिबान द्वारा रक्तपात, हिंसा और ह्रास मनुष्य जाति के पतन का परिचारक है, यह हृदय विदारक है। तालिबान के डर से लाखों लोग देश छोड़कर भाग गए हैं और महिलाओं पर अत्याचार जारी है। अफगानिस्तान नरक बन गया है। तालिबान केवल धर्म का अर्थात शरीयत का शासन लाना चाहता है। वे सभी लोग और संगठन जो हमारे देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें हिंदू राष्ट्र निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जब धर्म के आधार पर पाकिस्तान (Pakistan) और हिंदुस्तान (Hindustan) दो राष्ट्र बन जाते हैं, तो हिंदुओं को अपने ही हिंदुस्तान में लगातार अवहेलना नहीं किया जाना चाहिए। हिंदुत्व एक संस्कृति है और वे इस पर हमला करने वालों को रोकने के अधिकार की मांग कर रहे हैं।

 

 

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