तेजस्वी यादव के पार्टी अध्यक्ष बनने की डगर आसान नही! ऐसे में क्या परिवारवाद से ऊपर उठकर लालू लेंगे पार्टी हित में कोई फैसला ?

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन लालू प्रसाद यादव ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए जल्द ही नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने अभी यह स्पष्ट नही किया हैं कि, अगला अध्यक्ष कौन होगा?  फ़िर भी सियासी गलियारों मे यह चर्चा तेज हो गई हैं कि तेजस्वी अपने पिता लालू यादव के कहने एक बार फिर पार्टी की गतिविधियों में रूचि लें रहे हैं. लालू ने आश्वासन दिया हैं कि उनके छोटे बेटे और बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को उनकी इच्छा और अनुभव के हिसाब से कोई महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. लेकिन यह निर्णय संगठन के चुनाव के बाद ही लिया जाएगा.

लोकसभा चुनाव के बाद बुधवार को पटना में 40 वर्ष पुराने दूध मंडी पर प्रशासन की तोडू कार्रवाई के दौरान तेजस्वी वहां दिखे थे. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ वहां धरना प्रदर्शन भी किया था. उनकी इस सक्रियता को देख उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने भी ख़ुशी जाहिर की है. साथ ही उनके समर्थकों में भी एक नई उर्जा देखने को मिली. अब उन्हेंपार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग जोरों पर है. हालांकि इस बात पर खुद तेजस्वी ने अभी तक कोई भी प्रतिक्रियां नही दी है. राजनीतिक जानकारों द्वारा कयास लगाए ज़ा रहे हैं कि तेजस्वनी के लिए यह राह इतनी आसान नही हैं. फ़िर भी लालू यादव अपनी पार्टी आरजेडी (RJD) की कमान तेजस्वी के हाथों में सौंप सकते हैं.

युवाओ औऱ विधायकों ने की नेतृत्व देने की मांग

भाई वीरेंद्र जैसे कुछ आरजेडी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओ, युवाओ सहित विधायक भी तेजस्वी को पार्टी अध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं. उनका मानना हैं कि तेजस्वी यादव को पार्टी का नेतृत्व देने से राज्य के युवाओं के बीच एक अच्छा संदेश जाएगा. इस मुद्दे पर वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र अकेले नहीं हैं. उनके साथ बोधगया से निर्वाचित विधायक कुमार सरबजीत और जमुई से विधायक विजय प्रकाश भी इस मांग के समर्थन में हैं.

रोड़ा नंबर 1-  पार्टी में अपना एक छत्र राज चाहते हैं तेजस्वी!

चर्चा है कि तेजस्वी पार्टी में अपने निर्णयों सबसे उपर रखना चाहते हैं. लालू यादव उनके इस स्वभाव के चलते तेजस्वी को ‘एकाधिकार’ देने की बात पर राजी नहीं हों रहे हैं. जबकि तेजस्वी पार्टी का पूरा कंट्रोल अपने कंट्रोल में करना चाहते हैं.

रोड़ा नंबर 2- पार्टी और परिवार में हैं अपनी-अपनी आकांक्षाएँ

दरअसल लालू यादव ही नहीं उनके अध्यक्ष बनने में परिवार और पार्टी के बीच भी कई मुश्किले हैं.

लालू यादव यदि तेजस्वी को पार्टी की कमान सौंपते हैं तो यह निर्णय पार्टी के लिए चुनौती भरा हो सकता हैं. लालू परिवार में सत्ता संघर्ष को लेकर विवाद भी किसी से छुपा नही हैं. इस स्थिति में उनकी बेटी मीसा भारती और तेज प्रताप यादव की भी अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं.

रोड़ा नंबर 3- मीसा भारती भी पार्टी में चाहती है अहम स्थान

साल  2015 में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद लालू नें राजनीतिक विरासत का बंटवारा किया था. तब मीसा भारती को दिल्ली की जिम्मेदारी भी दी गई थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में तेजस्वी का नेतृत्व धराशायी हो गया था. इसके बावजूद अगर लालू उन्हें ही फिर से बागडोर सौपेंगे तो हो सकता है कि राजनीतिक की लालसा परिवार में ही युद्ध ना करवा दे.

रोड़ा नंबर 4- तेज प्रताप यादव भी कुछ कम नहीं

हालाँकि दोनों भाई दूध मंडी धराशाही होने के समय साथ धरनें में शामिल हुए हो. लेकिन यह साफ है कि तेज प्रताप भी इतनी आसानी अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेंगे. सभी जानते हैं कि उन्होंने खुद को कृष्ण और तेजस्वी यादव को अर्जुन करार दिया. इसका अर्थ आसानी से समझा जा सकता है.

रोड़ा नंबर 5- आसान नही होंगा वरिष्ठ नेताओं को मनाना

पार्टी कें वरिष्ठ नेताओ को तेजस्वी कें लिए मनाना इतना आसान नही हैं. क्योंकि उनका मानना हैं कि लालू यादव की जगह लेना इतना आसान नही हैं. जबकि तेजस्वी कें लिए तो यह औऱ भी मुश्किल हैं. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदाननंद सिंह जैसे कई नेताओ का कहना है कि भले ही लालू यादव से तेजस्वी कोई पद हासिल कर भी लें, लेकिन सच्चाई यही है कि अब भी वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई दूसरा सानी नहीं है. इसलिए लालू यादव तेजस्वी को एकाधिकार देने का रिस्क नहीं ले सकते.

अनुभवहीनता के चलते डगर आसान नही

जिस तरह से लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद तेजस्वी यादव ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया था. माना जा रहा हैं कि अनुभव की कमी के कारण तेजस्वी पार्टी की बागडोर ठीक से संभाल नही पाए, इसलिए पार्टी को मुंह की खानी पड़ी.