क्या आपका भी फोन टेप हो रहा है? जाने ऐसे

दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – अगर आपको लगता है कि आपका फोन सर्विलांस पर है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं। आप चाहे तो सूचना के अधिकार (आरटीआई) ऐक्ट के तहत टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) से इसकी जानकारी मांग सकते है। पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि ट्राई को आवेदक की तरफ से उसके फोन के सर्विलांस या ट्रैकिंग की जानकारी देनी होगी क्योंकि टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइड से ऐसी जानकारी हासिल करना उसका अधिकार है।
जस्टिस सुरेश ने एक हालिया आदेश में कहा है कि अगर एक पब्लिक अथॉरिटी के पास आरटीआई ऐक्ट के सेक्शन 2 (एफ) की परिभाषा के मुताबिक किसी प्राइवेट बॉडी से सूचना हासिल करने का अधिकार है जो उसकी जवाबदेही भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पब्लिक अथॉरिटी की जवाबदेही बनती है कि वह प्राइवेट बॉडी से सूचना लेकर आवेदक को प्रस्तुत करे। यह सुनवाई वकील कबीर शंकर बोस की याचिका पर की गयी।
जस्टिस सुरेश ने ट्राई के उस दावे को खारिज कर दिया कि उसके पास प्राइवेट बॉडी जैसे इस मामले में वोडाफोन इंडिया से सूचना हासिल करने की कोई शक्ति नहीं है। सितंबर में सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन (सीआईसी) ने ट्राई को कहा था कि वह वोडाफोन से सूचना लेकर बोस को उपलब्ध कराए। वोडाफोन ने भी खुद को प्राइवेट संगठन बताते हुए वकील की आरटीआई याचिका से छूट की मांग की थी।

वोडाफोन का तर्क था कि वह आरटीआई ऐक्ट में परिभाषित कोई पब्लिक अथॉरिटी नहीं बल्कि प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन है। ट्राई ने भी कहा था कि बोस ने जो सूचना मांगी हैं उसके रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि पब्लिक अथॉरिटी प्राइवेट बॉडी से जुड़ी जो सूचना हासिल कर सकती है ये सूचना भी उसी दायरे में आती है।