सामना में ‘गरज सरो, पटेल मरो’ सम्पादकीय से मोदी पर निशाना

मुंबई : सरदार पटेल की जगह पर नरेंद्र मोदी का नाम दिया तो इतनी परेशानी क्यो?  इस बदलाव को उनके गुजरात की जनता ने स्वीकार कर लिया है। पांच नगरपालिका चुनावों में कांग्रेस हार गई और भाजपा की जीत हुई। सरदार पटेल से ज्यादा मोदी महान हो गये हैं इसलिए जनता उन्हे भर भर के वोट दे रही है। जब गुजरात को ही सरदार पटेल पर आस्था नहीं तो फिर अन्य विरोधियो को क्या लेना देना है? नई राजनीति में सरदार पटेल का महत्व समाप्त हो गया है,  कल नेताजी बोस भी खत्म हो जाएंगे। महाराष्ट्र में भी  छत्रपति शिवाजी महाराज का उपयोग पिछले चुनावों में भी किया गया था। अब ‘गराज सरो, पटेल मारो’  उसी नाटक का एक हिस्सा है। सामना के सम्पादकीय के माध्यम से यह टिप्पणी की गई है।

हर बड़ी चीज़ गुजरात में ही करनी है

दुनिया की हर बड़ी चीज गुजरात में ही करनी है, इसी उद्देश्य से मोदी-शाह की सरकार दिल्ली में पिछड़्ती दिख रही है। इसमेन कोई चूक होने का कोई कारण नहीं है। अपनी मिट्टी से प्रेम करना कोई गुनाह नहीं, लेकिन हम ये कैसे भूल सकते हैं कि हम देश का नेतृत्व कर रहे हैं!

कौन मिटाना चाह रहा पटेल के नाम

गुजरात में सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई गई। यह स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी से भी ऊंची है। मोदी ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा अपमानित सरदार का मान सम्मान और कद बढ़ाने वाली यह प्रतिमा है। रही थी। पिछले पांच वर्षों में कई बार कहा गया है कि कांग्रेस या नेहरू-गांधी वंश ने पटेल के नाम को मिटाने की कोशिश की है, लेकिन न तो सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी ने गुजरात के सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर मोदी स्टेडियम रखने का सुझाव दिया होगा। अब इससे तो यह स्पष्ट है कि कौन पटेल के नाम को मिटाने की कोशिश कर रहा है।

चरम पर है अंधभक्ती

मोदी महान हैं। इस संबंध में कोइ शंका ही नहीं है। लेकिन मोदी सरदार पटेल, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू या इंदिरा गांधी से भी महान हैं, ऐसा उनके भक्तो को लगता है तो ये माना जा सकताहै कि उनकी अंधभक्ति की सीमा चरम पर है। जिसने भी सरदार पटेल का नाम हटा कर मोदी के नाम पर रखा है उसनेवास्तव में मोदी को छोटा कर दिया है।

बहुमत लापरवाह होने का लाइसेंस नहीं है

लोगों ने भारी बहुमत दिया है। बहुमत लापरवाह बनने का लाइसेंस नहीं है। सरदार पटेल, पंडित नेहरू के पास बहमत था तो वो देश निर्माण के लिए था । नेहरू ने भाभा परमाणु ऊर्जा केंद्र, भाखड़ा-नांगल योजना राष्ट्र को समर्पित किया। मोदी के कार्यकाल के दौरान क्या हुआ, अगर दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम सरदार पटेल के नाम पर था,  तो उसे हटा कर मोदी का नाम दिया। इस तरह सए भक्तो

ये लोग जो कल तक सरदार पटेल की प्रशंसा करते रहे थे, सिर्फ एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार विरोधी हो गए। यह कहना गलत नहीं होगा कि ये सिर्फ एक व्यापार है। कल अगर बंगाल में सत्ता परिवर्तन हुआ तो ऐसी संभावनाए हैं कि नेताजी बोस के नाम पर बने संगठनों के नाम भी बदल दिए जाएंगे। सरदार पटेल सिर्फ गुजरात के नेता नहीं थे। गांधी-नेहरू की तरह, वह देश के रोल मॉडल थे, लेकिन इस सरकार ने उनके किस आदर्श का पालन किया?

पर आज देश में किसानो की अवस्था क्या है?

स्वतंत्रता की लड़ाई में बारदोली की लड़ाई सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। है। ये किसानो के अधिकार की लड़ाई थी और सरदार पटेल ने इसका नेतृत्व किया था। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बैठने वाले सरदार पटेल पहले अध्यक्ष थे जिन्होने चिल्ला कर कहा था कि “मैं किसान हूँ!” लेकिन आज देश में किसानों की हालत क्या है? चार महीने बाद भी दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरू है। आंदोलन में किसान सरदार पटेल की जय जयकार रहे हैं इसलिए स्टेडियम का नाम सरदार पटेल से हटा कर मोदी के नाम पर कर दिया गया है क्या? इस तरह का सवाल उठा कर मोदी सरकार पर निशाना साधा गया है।

मोदी फकीर हैं कभी भी झोला उठा कर जंगल या हिमालय पर चल देंगे

जो भी हुआ उसमे मोदी का कोई दोष नहीं है। मोदी एक फकीर हैं, वे कभी ‘झोला’ उठाकर जंगल या हिमालय चले जाएंगे। निश्चित रूप से उनके भक्त ही इस तरह की हरकत कर रहे हैं। चूंकि मोदी काफी तटस्थ और विनम्र व्यक्ति हैं, इसलिए वे इन हरकतो की तरफ शांति से देखते हैं।