कोरोना काल में जिंदगी से टूटता मोह

अब तक के डेढ़ साल में 63 लोगों ने की खुदकुशी
संवाददाता, पिंपरी। महामारी कोरोना ने कइयों की रोजी रोटी छीन ली। शायद ही कोई ऐसा वर्ग होगा जो इस महामारी के संकट के झटके से अछूता रहा। खासकर युवाओं और छुटपुट व्यवसाय कर अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों को बड़ा फ़टका लगा। उनके समक्ष अपने परिवार का उदरनिर्वाह का यक्ष प्रश्न खड़ा हुआ। इसी की चिंता निराशा में बदल रही है। ऐसे चिंताजनक माहौल में पिंपरी चिंचवड़ की उद्योगनगरी में कोरोना के अब तक के डेढ़ साल में 63 लोगों द्वारा खुदकुशी कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लिए जाने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय की सीमा में बड़ी संख्या में श्रमिक, छात्र-छात्राएं, औद्योगिक कर्मचारी और आईटीयन के साथ पेशेवर व सामान्य परिवार रहते हैं। इनमें से प्रत्येक कोरोना महामारी की चपेट में आया। बढ़ती बेरोजगारी ने भी कई लोगों ने आपराधिक क्षेत्र की ओर रुख किया है। हालांकि बहुत सारे लोग मानसिक रूप से टूट गये। अभी भी कई सारे उबर नहीं हो सके हैं। नतीजतन, कइयों ने जिंदगी से नाता तोड़कर आत्महत्या कर ली। इससे उनके जीवन के साथ-साथ उनके परिवार को भी तबाह हो गए। कईयों के बच्चे सड़कों पर आ गए। कई लोगों ने अपने बुढ़ापे का सहारा खो दिया। कई नवविवाहितों ने आत्महत्या कर ली। इससे उसके साथी को काफी मानसिक आघात लगा
आंकड़ों की मानें तो पिंपरी चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय की सीमा में अब तक के ढाई सालों में 118 लोगों ने खुदकुशी की है। वहीं कोरोना की महामारी के डेढ़ सालों में 63 लोगों ने खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मानसोपचार विशेषज्ञों के अनुसार, परिवार का कमाऊ व्यक्ति अगर अपना रोजगार या स्वरोजगार खो देता है तो उसे मानसिक रूप से आधार देने की जरूरत है। उसे दोबारा रोजगार या स्वरोजगार के साधन हासिल करने में सहयोग दें। घर का युवा, विद्यार्थी या कोई भी अकेला न पड़ जाय, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। उनकी भावनाओं और मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करनी चाहिए। अगर जरूरत हो तो उसे मानसोपचार विशेषज्ञ, डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज व काउंसलिंग दिलाएं।