राजू शेट्टी ने कहा कि पिछले वर्ष आंदोलन के दौरान सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल की मध्यस्थता से एफआरपी व उस पर अतिरिक्त 200 रुपए देने का रास्ता निकाला गया था।अब शक्कर के दाम गिरने का हवाला देकर पैसे देने में टालमटोल की जा रही है। वास्तविकता में देखें तो एफआरपी की तरह कीमत देने व यह रकम गन्ना कारखानों से लेने के बाद 14 दिनों में किसानों को देना अनिवार्य है। इस पर अमल नहीं करने वाले कारखानों पर कार्रवाई करना सरकार का काम है। इसके उलट सरकार कारखाना मालिकों को पुलिस सुरक्षा देकर समर्थन दे रही है। इसलिए यह आंदोलन किया गया है। पुलिस सुरक्षा मिलने से कारखाना मालिकों का मनोबल काफी बढ़ गया है।
गन्ना किसानों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच राजू शेट्टी यह बयान सरकार के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है। मौजूदा समय में किसान सरकार से नाराज चल रहे हैं ऐसे में अगर उसे थोड़ी भी हवा मिलती है तो हालात काबू से बाहर जा सकते हैं। ऐसे में सरकार राजू शेट्टी की चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेती है यह देखना दिलचस्प होगा।