दलितों की हजामत बनाई, तो दबंगों ने ठोक दिया 50,000 रुपए का जुर्माना 

बेंगलुरु. ऑनलाइन टीम : भारत में ये कह देना कि जातीय भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है, एक ईमानदार पुकार हो सकती है या ये सत्ता राजनीति का एक आकर्षक नारा भी हो सकता है, लेकिन ऐसा वास्तव में संभव हो पाएगा ये एक कठिन सवाल बना हुआ है, जिसका कोई फौरी जवाब देना कठिन है। सब जगह धंसा हुआ ये भेदभाव कोई सीधी रेखा या एकरेखीय समस्या नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि दलितों पर क्रूरता और उनसे भेदभाव की घटनाओं में कमी आती नहीं दिखती।

जातीय भेदभाव का ताजा मामला कर्नाटक के मैसुरु जिले के ननजानगुडी तालुका के हल्लारे गांव है। एक शख्स ने अपने सैलून में गांव के ही दलितों यानी अनुसूचित जाति  और अनुसूचित जनजाति  के लोगों की हजामत क्या बनाई, उसी की हजामत बन गई। गांव के दबंगों ने उसे गांव और समाज से बहिष्कृत करने का फरमान सुना दिया। यही नहीं,  50,000 रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया। पीड़ित मल्लिकार्जुन शेट्टी के साथ हुई तीसरी बार हुई  घटना है। मैंने पहले भी जुर्माने के तौर पर मोटी रकम का भुगतान किया था।

कुछ महीने पहले चन्ना नाइक अपने कुछ साथियों के साथ मल्लिकार्जुन का सैलून आया था। उसने तब मल्लिकार्जुन से दलितों से बाल काटने के एवज में अधिक चार्ज लेने को कहा था, लेकिन मल्लिकार्जुन शेट्टी ने ऐसा करने से मना कर दिया था और कहा था कि वो सभी ग्राहकों से एक जैसा शुल्क लेगा। इसके बाद नाइक की इस हरकत की जह शेट्टी ने शिकायत करनी चाही तो नाइक ने उसे न केवल जान से मारने की धमकी दी बल्कि उसके बेटे के साथ मारपीट भी की। उससे 5000 रुपये भी छीन लिए। अब फिर से उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। उसका कहना है कि अगर मेरी नहीं सुनी गई तो परिवार सहित आत्महत्या कर लूंगा।