अगर भय्युजी महाराज पुणे जाते, तो आज वह जिंदा होते 

इंदौर:  आत्महत्या करने के पहले भय्युजी महाराज इंदौर से पुणे आने के लिए निकले थे. लेकिन वह आधे रास्ते से पुणे ना जाकर इंदौर वापस लौटने का फैसला किया. अगर भय्युजी महाराज पुणे आने का फैसला रद्द नहीं करते तो उनका जीवन बच जाता वह आत्महत्या नहीं करते. ऐसा बोला जा रहा है.
आत्महत्या करने के एक दिन पहले 11 जून को भय्युजी महाराज अपने गाड़ी से पुणे जाने के लिए निकले थे. इस दौरान पुणे में स्थित आश्रम के सेवेकरी अमोल चव्हाण ने उन्हें बार-बार फोन कर रहे थे. पुलिस द्वारा निकाले गए कॉल डिटेल्स में यह बात की पुष्टि हुई है. यात्रा के दौरान महाराज के साथ अमोल की बातचित करीब 30 मिनट तक हुई थी.
अमोल का फ़ोन आते ही भय्युजी महाराज ने गाड़ी रुकवा कर चालक सहित सभी सेवकों को गाड़ी से बाहर भेजा. फिर वह अमोल के साथ बातचीत किये. अमोल के साथ-साथ उनकी पत्नी आयुषी और बेटी का फ़ोन आने के बाद ही वह अचानक पुणे जाने का फैसला बदले और उन्होंने आधे रास्ते से ही इंदौर वापस चले गए. जिसके दूसरे दिन बाद ही भय्युजी महाराज ने सुबह आत्महत्या कर ली. पुलिस द्वारा की गयी जांच पड़ताल में यह बात सामने आयी है.
अगर भय्युजी महाराज पुणे जाने का फैसला नहीं बदलते और उनका ईलाज पुणे के अच्छे डॉक्टरों से होता तो उनकी जान बचायी जा सकती थी. ऐसा चर्चा शुरू है.