हाइपर लूप परियोजना के खटाई में पड़ने के आसार

पुणे : समाचार ऑनलाइन – भाजपा सरकार की बड़ी और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शुमार हाइपर लूप ट्रेन परियोजना के खटाई में पड़ने के आसार नजर आने लगे हैं।  मुंबई से पुणे के बीच प्रस्तावित हाइपरलूप तकनीक के इस्तेमाल को लेकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि, राज्य सरकार पहले दूसरे देशों में इसकी व्यावहरिकता को देखेगी। इसके बाद ही राज्य में इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह बात अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कही।
भाजपा के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने मुंबई से पुणे के बीच हाइपरलूप सेवा शुरू करने की घोषणा की थी, जिससे दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करने में लगने वाले समय में काफी कमी आती। पवार से जब पूछा गया कि क्या शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- कांग्रेस की महाविकास आघाडी की सरकार इस परियोजना को रद्द करने पर विचार कर रही है? पवार ने कहा, ‘मैंने ऐसा नहीं कहा। मेरा कहना है कि अभी तक दुनिया में कहीं भी इस तकनीक का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसे कहीं लागू होने दीजिए, विदेश में कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी के रूट में सफल होने दीजिए।
उन्होंने यह भी कहा, ‘हाइपरलूप से प्रयोग करने की हमारी क्षमता नहीं है। इस बीच हम यातायात के अन्य तरीकों पर ध्यान केंद्रित करेंगे अगर विदेश में यह तकनीक सफल होगी तो हम इस पर विचार करेंगे।’ ज्ञातव्य हो कि इंडस्ट्रियलिस्ट इलॉन मस्क ने साल 2012 में हाइपरलूप का विचार पेश किया था। यह ट्यूब आधारित तकनीक है जिसमें हवा के अवरोध के अभाव में गाड़ियां तेज रफ्तार से चलती हैं। पिछली सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ डॉलर के प्लान को अगस्त में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट स्टेटस दे दिया था, जिससे इसके लिए फास्ट ट्रैकिंग जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया था। इसके लिए रिचर्ड ब्रांसन के वर्जिन ग्रुप ने प्रस्ताव दिया था। सरकार के फैसले के बाद रिचर्ड ने उद्धव से उनके निवास मातोश्री पर मुलाकात भी की। एक दिन पहले उन्होंने यह ऐलान भी किया था कि उनका ग्रुप राज्य पर किसी फंडिंग के लिए निर्भर नहीं रहेगा।