ये कैसा सलूक ? चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले वैज्ञानिकों को झटका, सरकार ने काटी ISRO वैज्ञानिकों की सैलरी

नई दिल्ली , समाचार ऑनलाइन- इसरो के वैज्ञानिक गहरे संकट में है। वह देश का नाम रोशन करने के लिए दिन रात मेहनत कर चंद्रयान 2 की लॉचिंग में व्यस्त है तो इन वैज्ञानिकों के सैलरी पर संकट मंडराने लगा है । दरअसल सरकार इन वैज्ञानिकों की सैलरी काटने में लगी है । केंद्र सरकार ने 12 जून 2019 के एक आदेश में कह था कि इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को साल 1996 से मिल रहे दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि की प्रोत्साहन अनुदान राशि को बंद किया जा रहा है।

यह अनुदान राशि आदेश के अनुसार 1 जुलाई से बंद हो गई है. इस आदेश के बाद D, E, F और G श्रेणी के वैज्ञानिकों को यह प्रोत्साहन राशि अब नहीं मिलेगी। इसरो में तक़रीबन 16 हज़ार वैज्ञानिक और इंजीनियर है । सरकार के इस आदेश से इसरो के 85 से 90% वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सैलरी में 8 से 10 हज़ार रुपए का नुकसान हुआ है । सरकार के इस निर्णय से वैज्ञानिक नाराज है ।

वर्ष 1996 में यह प्रोत्साहन राशि शुरू की गई थी. सरकार का कहना है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वित्त मंत्रालय और व्यय विभाग ने अंतरिक्ष विभाग को सलाह दी है कि वह प्रोत्साहन राशि की बंद करे । इसकी जगह अब केवल परफॉरमेंस रिलेटेड इंसेंटिव स्कीम लागू की गई है ।

C श्रेणी में होती है इसरो वैज्ञानिकों की भर्ती, प्रमोशन में मिलती थी प्रोत्साहन राशि  इसरो में किसी भी वैज्ञानिक की भर्ती सी श्रेणी से शुरू होती है. इसके बाद उनका प्रमोशन D, E, F और G और आगे की श्रेणियों में होता है । इस प्रोत्साहन राशि से पहले एक टेस्ट होता है जो पास करनी होती है । इसके बाद यह अनुदान राशि मिलती है. लेकिन जब जुलाई की सैलरी अगस्त में आएगी तो उसमे कटौती दिखाई देगी।

2012 से 2017 के बीच 289 वैज्ञानिक छोड़ गए इसरो 2017 में आई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एकआरटीआई से पता चला था कि 2012 से 2017 के बीच इसरो से 289 वैज्ञानिक पद छोड़कर चले गये । इसे इसरो के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है । इसरो के जिन केंद्रों से वैज्ञानिक नौकरी छोड़ कर गए उनमें सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम सेटेलाइट सेंटर बेंगलुरु और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद।