होम आयसोलेटेड मरीजों टेलीकॉलिंग के जरिये इलाज की सुविधा 

2.34 करोड़ की लागत; पिंपरी चिंचवड़ मनपा का प्रस्ताव
पिंपरी। होम आयसोलेशन (गृह अलगीकरण) और कोविडमुक्त मरीजों को फोन कॉल के जरिये चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का एक अहम फैसला पिंपरी चिंचवड़ मनपा प्रशासन ने किया है। इसके लिए दो करोड़ 34 लाख रुपए खर्च किये जा रहे हैं। फिलहाल होम आइसोलेटेड और कोरोना मुक्त लोगों से संपर्क साधने या उन्हें चिकित्सा मदद व सलाह देने के लिए कोई यंत्रणा नहीं है। इसके चलते कॉल सेंटर के जरिये उनसे रोजाना संवाद साधने और चिकित्सा सलाह देने का फैसला किया गया है।
पिंपरी-चिंचवड़ मनपा क्षेत्र में कोरोना रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। तस्वीर यह है कि विभिन्न अस्पतालों में व्यवस्थाएँ अपर्याप्त साबित हो रही हैं। ऐसे कोरोनरी रोगी जिनमें कोई लक्षण नहीं है उन्हें घर मे अलग रखकर उनका इलाज किया जा रहा है। आज तक, कुल 21,000 सकारात्मक रोगियों का होम आइसोलेशन में इलाज जारी है। मनपा आयुक्त राजेश पाटिल ने कहा है कि कोरोना की घटनाओं में तेजी से वृद्धि के कारण होम आइसोलेटेड रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि उनके साथ संवाद का कोई साधन मनपा के पास उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में घर में रहने वाले रोगियों को चिकित्सा सहायता और परामर्श प्रदान करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसलिए, आयुक्त ने कॉल सेंटर के माध्यम से दैनिक चिकित्सा परामर्श आयोजित करने का निर्णय लिया है।
तदनुसार, घरेलू अलगाव वाले रोगियों को दिन में एक बार 14 दिनों के लिए संपर्क किया जाएगा। कॉल सेंटर का उपयोग उन्हें आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए किया जाएगा, डैश बोर्ड पर सूचना उपलब्ध कराने के साथ-साथ कोविड संबन्धी देखभाल केंद्र और अस्पताल भी उपलब्ध कराए जाएंगे। घरेलू अलगाव वाले रोगियों में उच्च जोखिम वाले रोगी भी शामिल हैं। घर पर अलगाव वाले मरीज के शरीर का तापमान, हृदय गति, नींद की गुणवत्ता, खांसी, बदन में दर्द, सांस लेने में कठिनाई आदि जानकारी दिन में एक बार फोन पर पूछा जाएगा।  इसके अनुसार, इन मरीजों का इलाज नगर अस्पताल और कोविड केंद्र में किया जाएगा।
कोरोनरी धमनी की बीमारी और घर में अलगाव वाले रोगियों और उच्च-जोखिम वाले कोरोना-संक्रमित रोगियों से कॉल सेंटर से फोन कॉल द्वारा कुछ सवाल पूछे जाएंगे जैसे कि, क्या उनके गले में खराश या खांसी है? क्या उन्हें सर्दी जुकाम है? क्या उन्हें सांस लेने में तकलीफ है? अगर घर पर ऑक्सीमीटर है, तो उस पर ऑक्सीजन रीडिंग क्या है? क्या वे डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा समय पर ले रहे हैं? क्या वे डॉक्टर से बात करना चाहते हैं? यदि प्रश्नावली नकारात्मक है, तो चिकित्सा सहायता के लिए रोगी के मोबाइल नंबर को ‘व्हाट्सएप’ के माध्यम से चिकित्सा सहायता के लिए नियुक्त मनपा अधिकारी को भेजा जाएगा। चिकित्सा अधिकारी यह भी तय करेगा कि रोगी को अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए या नहीं। इस कॉल सेंटर का कामकाज ऑरनेट टेक्नोलॉजी प्रा लि नामक कंपनी को सौंपा गया है। उसे प्रति फोन कॉल के लिए 13 रुपए चुकाए जाएंगे। इसका ठेका तीन माह के लिए दिया जाएगा। आज की तारीख में 20 हजार मरीज होम आइसोलेशन में हैं। इस हिसाब से कंपनी को दो करोड़ 34 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा।