हाईकोर्ट ने बीएमसी को लगाई फटकार, कहा- कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़  दुर्भावनापूर्ण, मुआवजा हम तय करेंगे  

मुंबई. ऑनलाइन : बंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी को फटकार लगाते हुए कहा कि कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़  दुर्भावनापूर्ण ढंग से की गई। न्यायमूर्ति एसजे काठवाला और न्यायमूर्ति आरआई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देता है।

बता दें कि अभिनेत्री कंगना रनौत ने मुंबई स्थित ऑफिस में बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) द्वारा की गई तोड़फोड़ के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 5 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बीएमसी ने 9 सितंबर को कंगना के ऑफिस के कुछ हिस्से को अवैध बताते हुए तोड़फोड़ की थी। कंगना ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, साथ ही साजो-सामान के नुकसान के एवज में बीएमसी से मुआवजा मांगा था। आरोप है कि बीएमसी की यह कार्रवाई ट्विटर पर शिवसेना नेता संजय राउत के साथ कंगना रनौत के वाकयुद्ध के बाद की गई थी।

अदालत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा अभिनेत्री कंगना रणौत के बंगले के हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई द्वेषपूर्ण कृत्य था और अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था। इसके साथ ही अदालत ने विध्वंस के आदेश को रद्द कर दिया। रणौत ने बीएमसी से हर्जाने में दो करोड़ रुपये मांगे थे । पीठ ने कहा कि अदालत नुकसान का आकलन करने के लिए मूल्यांकन अधिकारी नियुक्त कर रही है, जो याचिकाकर्ता और बीएमसी को विध्वंस के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान पर सुनवाई करेगा।  वैल्यूअर अदालत को एक रिपोर्ट सौंपेगा। इसके बाद वह कंगना रणौत को मुआवजा देने का आदेश पारित करेगा। अदालत ने अभिनेत्री से सोशल मीडिया और अन्य लोगों पर टिप्पणी करते हुए संयम बरतने को कहा है। बता दें कि बीएमसी ने जिस वक्त मुंबई के ब्रांद्रा इलाके में पाली हिल में बने कंगना के ऑफिस में तोड़फोड़ की थी उस वक्त वे मुंबई में मौजूद नहीं थीं।