हेमंत बिस्व शर्मा बने असम के मुख्यमंत्री, भाजपा की नजर लोकसभा चुनावों पर

ऑनलाइन टीम. गुवाहाटी  : हेमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल जगदीश मुखी ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि अगले पांच साल में असम की गिनती टॉप पांच राज्यों में होगी। मुख्यमंत्री का शपथग्रहण श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में हुआ।

चूंकि भाजपा ने असम में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, इसलिए जीत के बाद जोरदार मंथन का दौर चला। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सोनोवाल एवं सरमा को दिल्ली बुलाया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के निवास पर असम के दोनों नेताओं, अमित शाह और भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के बीच तीन दौर की बैठकें हुई थी। ये बैठकें चार घंटे से अधिक समय तक चली थीं। आखिरकार हेमंत विस्व सरमा के नाम पर मुहर लगी। याद रहे भाजपा ने 126 सदस्यीय असम विधानसभा में 60 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी असम गण परिषद से 9 और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने 6 सीटें जीतीं हैं।

राजनीति के जानकारों की मानें तो सरमा पर भाजपा के फिदा होने के पीछे कारण यह है कि उसकी नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर में हिमंत सरमा ने पार्टी का नेतृत्व किया था, जिसमें भाजपा और उसके सहयोगी दलों को बंपर फायदा हुआ था। पार्टी पहली बार कांग्रेस के किले में सेंध लगाने में कामयाब हुई और पूर्वोत्तर में सबसे ज्यादा सांसद एनडीए के बने। इससे केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा सरमा पर और बढ़ गया।

सरमा ने सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की उपाधि हासिल की है। वह साल 1996 से लेकर 2001 तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी कर चुके हैं। 2014 में तरुण गोगोई से मतभेद होने के बाद हिमंत सरमा ने कांग्रेस छोड़ दी थी। 2015 में सरमा ने भाजपा का दामन थामा लिया। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

हेमंत बिस्वा सरमा को केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। हेमंत बिस्वा सरमा दरअसल खुद के आदिवासी समुदाय से आते हैं और यह यह समुदाय असम की कुछ गिनी चुनी अहम समुदायों में से एक है। ऐसे में पूरे पूर्वोत्तर भारत में हेमंत सरमा की मजबूत पकड़ है।