हरतालिका तीज और उसका महत्व

पुणे | समाचार ऑनलाइन

हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज भगवान शिव और माँ पार्वती के पुर्नमिलन के रूप में मनाया जाता है। पुरानी मान्यता है कि, हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागन महिला के पति की उम्र लंबी हो जाती है और कुंवारी लड़किया मनचाहा पति मिले इसलिए यह व्रत करती है। इसलिए स्त्री के लिए यह व्रत खास माना जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है।

सावधान ! अब ट्रैफिक नियमों का पालन नही करने पर होगी जेल

 [amazon_link asins=’B00LWU9CJ2,B06XVHM9LX,B07239NBBM’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’ec50fb5e-b671-11e8-9169-a7006bdb11ab’]

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। भारत में चार तरह के तीज मनाए जाते है। जिसमे हरतालिका तीज का अलग ही महत्व है। हरतालिका दो शब्दों को मिला कर बनता है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है अपहरण और तालिका का अर्थ है सखी। इसे हरतालिका तीज का नाम इसलिए दिया गया है, क्योकि इस दिन माँ पार्वती की सहेली ने माँ पार्वती को हरणकर घने जंगल में छिपा दिया था ताकि माँ पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से ना हो पाये।

 [amazon_link asins=’B071FPC6WB,B074VG7VGC,B071JJ6NB7,B074F44QTF’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’058aa7fb-b672-11e8-b2f1-a30fca2b301b’]
महिलाएं अपने पति के लम्बे उम्र के लिए निर्जला व्रत करती है। इस व्रत में महिलाएं नए कपडे पहन कर, हाथों में मेहंदी लगाती है और 16 श्रृंगार कर के शुभ मुहर्त में शिव-पार्वती की पूजा करतीं है। पूजा में भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियों का पूजन किया जाता है और पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनाई जाती   है।  इस व्रत को बहुत ही कठिन माना जाता है, क्योकि इस व्रत में पानी तक ग्रहण नहीं करते। व्रत का पारण अगले दिन सुबह सही मूहर्त पर करते है। माना जाता है कि, एक बार यह व्रत शुरू करने पर बीच में छोड़ा नहीं जाता।