कच्चे माल की दरवृद्धि से पैकेजिंग इंडस्ट्री मुश्किलों में

कोरोगेटेड उत्पादकों की अहम बैठक में हुई समीक्षा
पिंपरी। पैकेजिंग उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल की कीमतें पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही हैं।  पैकेज इंडस्ट्री में कच्चे माल की कीमतों में 80 फीसदी तक की बढ़ोतरी की वजह से गिरावट आई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने तत्काल उपाय करने की मांग महाउद्योजक संघ ने की है। पुणे जिले में 600 कोरोगेटेड विनिर्माण इकाइयाँ हैं। पिंपरी, चिंचवड़, चिखली, तलवडे, भोसरी, चाकण, पुणे और रांजनगांव औद्योगिक क्षेत्रों से कोरोगेटेड उत्पादकों की एक महत्वपूर्ण बैठक हाल ही में हुई, जिसमें इंडस्ट्री के सामने खड़ी इस मुसीबत पर चर्चा विमर्श किया गया।
महाउद्योजक संघ के अध्यक्ष संजय भालेकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अनिल भालेकर, भावेश दाणी, सुनील अगरवाल, संजीव मिश्रा, रवि सचदेव, नवीन सरोगी, स्वप्नील चौधरी, संतोष गोरे, विशाल अजमेरा, अशोक चांडक, अमित जाधव, हेमंत कुशारे, नाना आवारे, प्रतीक पवार, जगमोहन अग्रवाल आदि उपस्थित थे। बैठक में पैकेजिंग इंडस्ट्री पर मंडराए संकट पर केंद्र और राज्य सरकार से तत्काल दखल लेने की मांग को लेकर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। भावेश दानी ने कहा, दैनिक जीवन में खरीदी गई वस्तुएँ सुंदर पैकेजिंग में उपलब्ध हैं। पैकेजिंग न केवल दिखाने के लिए बल्कि खरीदी गई वस्तुओं की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। पैकेजिंग उद्योग में मंदी पूरे विनिर्माण क्षेत्र के लिए खतरे का आगाज है।
उन्होंने कहा, कीमतों में निरंतर वृद्धि के कारण, आदेशों को पूरा करते समय भारी नुकसान उठाना पड़ता है। वर्तमान में, हजारों परिवार इस पर निर्भर हैं। मंदी से उन पर भुखमरी की नौबत आएगी। श्रीपति एंटरप्राइजेज के प्रेटेक पवार ने कहा, 80 प्रतिशत मूल्य वृद्धि के कारण उद्योगों के बंद होने की कगार पर है। बहुतों को बेरोजगार होना पड़ेगा। एस. आर. पेपर के संजीव मिश्रा ने कहा, 40 वर्षों में पहली बार, पैकेजिंग उद्योग काफी तनाव में है। यदि जल्द समाधान नहीं ढूंढा गया तो यह उद्योग बंद पड़ जायेगा। कारोबार पर निर्भर लगभग चार हजार श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह अनुमान लगाना संभव नहीं था कि चल रही बढ़ोतरी कितनी बढ़ेगी। परफेक्ट पैकेजिंग के बी जी  चौधरी ने कहा, पिछले 20 वर्षों में यह पहली बार है जब हम इस व्यवसाय में हैं और समय के साथ इतना बड़ा संकट आया है। सरकार को माल के निर्यात को तुरंत रोकना चाहिए। स्थानीय उद्योगों के उत्थान के प्रयास किए जाने चाहिए।