प्राधिकरण की संपत्ति, जमीन और डिपॉजिट पर सरकार की नजर

विलीनीकरण के फैसले पर भूतपूर्व अध्यक्ष सदाशिव खाडे की टिप्पणी
पिंपरी। पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनडीटीए) को पुणे महानगर प्रादेशिक विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) में विलीन करने के फैसले पर पीसीएनडीटीए के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा के पूर्व शहराध्यक्ष सदाशिव खाडे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि, पीसीएनडीटीए के पास करीबन 25 हजार करोड़ की संपत्ति है, 500 करोड़ से ज्यादा की फिक्स डिपॉजिट है। इस संपत्ति पर महाविकास आघाडी सरकार की नजर है। इसलिए पीसीएनडीटीए को पीएमआरडीए में विलीन करने का फैसला किया गया है। जबकि पिंपरी चिंचवड़ के भूमिपुत्रों को पीसीएनडीटीए से उनकी अधिग्रहित जमीन के साढ़े 12 फीसदी हिस्से की जमीन मिलना अभी बाकी है।
इस बारे में जारी किए गए एक बयान में खाड़े ने कहा है कि, 50 साल पहले पीसीएनडीटीए की स्थापना के बाद से 11 हजार घर पूरे हो चुके हैं। अपने 18 माह के अध्यक्ष पद के कार्यकाल में 16 हजार घरों की योजना बनाई गई थी। इनमें से वाल्हेकरवाडी में 1075 और सेक्टर 12 में 4800 घर बनकर तैयार हो चुके हैं। लाभार्थियों की एक मसौदा सूची भी जारी की गई है। सेक्टर नं 12 नियोजित परियोजनाओं में शेष 9000 घरों की निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मोशी में नियोजित अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक प्रदर्शनी केंद्र, इंद्रायणी नगर में डीसी सर्कल की योजना पूरी होनी है। इसी तरह, कई वाणिज्यिक और वाणिज्यिक परियोजनाओं को कम समय में पूरा होने की उम्मीद है। पीसीएनडीटीए ने इन परियोजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। ये सभी खर्च पिंपरी चिंचवड़ शहर की मेहनत की कमाई से किए गए हैं।  12.5 प्रतिशत जमीन का रिफंड देने से पहले इन परियोजनाओं को पीएमआरडीए को देना भूमिपुत्रों और मेहनतकशों साथ अन्याय होगा।
अब तक, पिंपरी चिंचवड़ शहर को अपनी सुंदरता और स्वच्छता के लिए राज्य और केंद्र सरकार से कई पुरस्कार मिले हैं। पीसीएनडीटीए के पास योजनाबद्ध विकास परियोजनाओं का एक बड़ा हिस्सा है। उसके विलीनीकरण का फैसला पीसीएनडीटीए की स्वतंत्र पहचान को मिटा देगा। अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में हुई बैठक में 1972 से 1984 तक प्राधिकरण के लिए स्थानीय किसानों की अधिग्रहित भूमि के बदले उन भूमिपुत्रों को 12.5 प्रतिशत का रिटर्न देने का निर्णय लिया गया। साथ ही, प्राधिकरण के कुछ स्थानों पर, शहर के मेहनतकश श्रमिकों के अवैध घरों को दंडात्मक कार्रवाई अधिकृत करने का निर्णय फड़नवीस द्वारा लिया गया था। इसमें डेढ़ गुंठा क्षेत्र तक के घरों को अधिकृत किया जाना था। इससे 40 हजार लोग लाभान्वित होनेवाले थे। अब विलीनीकरण के बाद ये सारे मसले फिर अधर में लटक जाएंगे। यह संभावना जताते हुए पीसीएनडीटीए के पूर्व अध्यक्ष सदाशिव खाड़े ने विलीनीकरण के फैसले का विरोध जताया है।