टीकाकरण मुहिम को गति प्रदान करने के लिए नियमों में ढील लाए सरकार

पुणे : कोरोना मरीजो की बढ़ती संख्या बहुत ही चिंता का विषय है। ऐसे में कोरोना विरोधी लड़ाई को भी तेज कर दिया गया है। शहर में प्रतिदिन लगभाग 20 हज़ार लोगो का कोरोना टेस्ट और कोरोना वैक्सीनेशन किया जा रहा है। हालांकि टीकाकरण के रफ्तार को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे पुणे के हर नागरिक तक 22 महीने में वैक्सीन पहुंच जाएगा। लोगों द्वारा यह मांग की जा रही है कि केंद्र सरकार कोरोना के संक्रमण और वर्तमान की विकट आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण मुहिम के नियमों में ढील लाए।

लगभग महीने भर से कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई है। कल दिन भर में 1504 नए मरीज मिले हैं। वहीं 24 घंटे में 8 हजार 554 संदिग्धों के टेस्ट किए गए हैं। इसके साथ ही टीकाकरण की रफ्तार को भी बढ़ा दी गई है। 16 जनवरी से फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीकाकरण देने की शुरुआत हुई। वही 1 मार्च से 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को और 45 वर्ष के बीमार लोगों को वैक्सीन दी जा रही है। लगभग सभी सरकारी और मनपा के साथ 83 प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीनेशन की जा रही है। सभी अस्पतालों को लगभग प्रतिदिन 100 लोगो को यानी कुल 8000 लोगों को वैक्सीन देने का टारगेट रखा गया है। अभी तक 12 हजार से अधिक लोगो को वैक्सीन दिया जा चुका है। वैक्सीन मुफ्त में मिल रहा है इसके लिए सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पताल में 250 रुपए में मिलने वाले वैक्सीन को भी लोग प्रधानता दे रहे हैं।

पुणे शहर में लोगों की संख्या 40 लाख के आसपास है। अभी जिस तरह से वैक्सीनेशन की जा रही है उस हिसाब से सभी लोगों को वैक्सीन देने में 333 दिन लगने वालेहैं। हर किसी को वैक्सीन के 2 डोज लगने हैं इसलिए 666 दिन यानी 22 महीने लगेंगे। कोरोना की वजह से लोग परेशान हैं। लॉकडाउन की तलवार सिर पर लटक रही है। पिछले साल लॉकडाउन की वजह से लोगो की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। इसलिए अब लोग लॉकडाउन के खिलाफ हैं। ऐसे में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस और अया जीवनावश्यक वस्तुओं के बढ़ते दाम ने तो लोगों का जीना ही मुश्किल कर दिया है। सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए।