फर्जी डिग्री से पाई थी नौकरी, अब हुआ खुलासा, लौटना पड़ेगी 14 साल की सैलरी

–  प्राथमिक विद्यालय की 2 टीचर की गई सस्पेंड

समाचार ऑनलाइन- उप्र में इनदिनों लगभग हर क्षेत्र में फर्जीवाड़े का बोलबाला है. इस तरह के कई खुलासे होने के बाद अब राज्य सरकार कार्रवाई के मूड में आ गई है; जिसके चलते सरकारी नौकरी हथियाने वाले कथित शिक्षकों पर यूपी सरकार ने गाज गिरानी शुरू कर दी है. हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया हैं, जिसमें दोषी शिक्षिका को 14 साल का वेतन लौटने का आदेश जारी किया गया है साथ ही उसको सस्पेंड भी कर दिया है.

उप्र के बलिया जिले के सरकारी स्कूलों की दो शिक्षिकाओं का भी भांडा फूटा  

खुलासा हुआ कि मीना यादव और पूनम यादव नाम की दो शिक्षिकाओं ने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी. इसके बाद उन पर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उनसे नियुक्ति के दिन से दिए गये पूरे वेतन की वसूली के निर्देश दिए हैं.

उक्त मामले की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि, इन दोनों शिक्षिकाओं ने नकली प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हथिया ली थी. इसकी जाँच करने पर मामले की पुष्टि होने पर सरकार द्वारा यह कठोर कदम उठाय़ा गया है.

मीना यादव साल 2005 में बनी थी टीचर  

शिक्षा अधिकारी सुभाष चंद्र गुप्ता ने जानकारी दी हैं कि, भीकमपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ मीना यादव ने नौकरी हासिल करने के लिए 10वीं और 12वीं की फ़र्जी मार्कशीट जमा की थी. इसलिए सोमवार को उन्हें निष्कासित किया गया हैं. वह साल 2005 से शिक्षिका के रूप में काम कर रही थीं. उनसे वेतन की वसूली के निर्देश भी दिए गए हैं.

पूनम यादव ने साल 2009 में नकली दस्तावेज जमा कर पाई थी नौकरी

इसी तरह सस्पेंड की गई अन्य शिक्षिका पूनम यादव पिंडहारा गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रही थी. पूनम ने उनके ही नाम की किसी और महिला के प्रमाण पत्र जमा कर 2009 में नौकरी हासिल की थी. उसने जिस शिक्षिका के प्रमाण पत्र जमा किए थे, वो भी आजमगढ़ के सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. अधिकारियों ने पूनम को भी नियुक्ति के बाद से भुगतान किए गए पूरे वेतन की वसूली के निर्देश दिए हैं.

वहीं रेवती क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ नारायण यादव की सेवाएं भी समाप्त की गई हैं, जिसकी पुष्टि मूल शिक्षा अधिकारी सुभाष गुप्ता ने की हैं.