युवती की खुदकुशी मामले में अनावश्यक प्रचार न करने की हिदायत

पुणे। मुंबई उच्च न्यायालय ने पुणे में एक युवती की कथित तौर पर आत्महत्या और एक राजनेता के साथ उसके संदिग्ध अवैध संबंध वाले मामले का अनावश्यक प्रचार नहीं करने को लेकर मीडिया को हिदायत दी है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इसके बारे में एक आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की खंडपीठ ने को युवती के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
युवती के पिता ने उनकी बेटी, उसकी मौत और उसके कथित संबंध को लेकर आ रही खबरों के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। युवती के पिता के वकील शिरीष गुप्ते ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता को पता चला था कि उसकी बेटी आठ फरवरी को पुणे में अपने फ्लैट की बालकनी से गिर गई थी और अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि घटना के तुरंत बाद ‘प्रिंट’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक’ मीडिया ने 23 वर्षीय युवती के एक व्यक्ति के साथ अवैध संबंध होने की खबरें देना शुरू कर दिया। गुप्ते ने इन खबरों को मानहानि करने वाली और अपमानजनक बताया।
गुप्ते ने अदालत में दलील दी कि राजनीतिक दलों और मीडिया ने याचिकाकर्ता की बेटी और एक अज्ञात व्यक्ति के बीच हुई कथित बातचीत की करीब 12 ऑडियो क्लिप सार्वजनिक कीं। गुप्ते ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि संवेदनशील मामलों पर खबरे देते समय मीडिया को तय दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसके बाद अदालत ने मीडिया को उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 31 मार्च की तारीख तय की है।