गडकरी ने कहा-घरेलू कंपनियों को भी मिलना चाहिए कोरोना की वैक्सीन का लाइसेंस 

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : गत एक मई से देश भर में 18 से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है लेकिन कई राज्यों ने टीके की कमी होने की बात कही है। राज्यों का कहना है कि वैक्सीन की कमी के चलते उन्हें अपने कई टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह टीका का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने  कहा है कि कोरोना की वैक्सीन का लाइसेंस घरेलू कंपनियों को मिलना चाहिए।

विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में आग्रह करेंगे कि देश में जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए और दवा कंपनियों को मंजूरी देने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। उनका मानना है कि जब डिमांड बढ़ती है, तो सप्लाई में दिक्कत आती है। वैक्सीन कंपनी 1 की बजाय 10 को लाइसेंस दे और रॉयलटी भी लें। हर राज्य में पहले से 2-3 लैबोरेटरी है। उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर भी है। फॉर्मूला देकर इनका उनके साथ समन्वय करके संख्या बढ़ाएं। मुझे लगता है ये 15-20 दिन में हो सकता है।’

उत्तर प्रदेश और बिहार में कोरोना मरीजों के शवों का नदियों और किनारों पर मिलना जारी है। लोगों का कहना है कि अंतिम संस्कार महंगा होने की वजह से कई परिवार अपने करीबियों की लाशें बहा देते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी और शहरी विकास मंत्रालय को शवों के अंतिम संस्कार के लिए बेहतर व्यवस्था करने को कहेंगे।  अगर चंदन की लकड़ियों की जगह ईधन- डीजल, एथेनॉल, बायोगैस और बिजली इस्तेमाल की जाएं, तो अंतिम संस्कार किफायती हो सकते हैं, क्योंकि जब लकड़ी का इस्तेमाल कर एक व्यक्ति को जलाया जाता है, तो इसमें तीन हजार का खर्च आता है। लेकिन अगर डीजल इस्तेमाल हो तो 1600 रुपए का खर्च ही हाएगा। एलपीजी इस्तेमाल हुई तो यह खर्च 1200 रुपए रह जाएगा। बिजली पर यह 750-800 और बायोगैस इस्तेमाल पर यह खर्च हजार रुपए से कम ही रहेगा।”

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र इस समय गहरे संकट से गुजर रहा है। ‘‘महामारी के दौरान हमें सकारात्मक रुख रखते हुए आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए। हम आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं .. भारत के सभी जिले चिकित्सा ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होने चाहिए।

याद रहे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में लेटर लिखकर कहा था कि केंद्र को टीका बनाने वाली दोनों कंपनियों (भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) का फॉर्मूला अन्य सक्षम दवा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को देना चाहिए ताकि टीके का उत्पादन बढ़ाया जा सके। भारत बायोटेक कोवैक्सीन टीका बना रही है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड का उत्पादन कर रही है।