संपूर्ण शास्तिकर माफी पर छिड़ी सियासत

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – एक हजार वर्ग फीट तक के अवैध निर्माणकार्यों के लिए शास्तिकर (तीन गुना प्रॉपर्टी टैक्स) माफी के बाद अब संपूर्ण शास्तिकर माफी को लेकर पिंपरी चिंचवड़ शहर में सियासत शुरू हो गई है। एक हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र से ज्यादा अवैध निर्माणकार्यों को शास्तिकर की नोटिस जारी होने के बाद शहर में हड़कंप मचने के बाद भोसरी के विधायक महेश लांडगे ने संपूर्ण शास्तिकर माफी को लेकर मनपा आयुक्त से मांग की है। इस पर विपक्ष के नेता दत्ता साने ने विधायक लांडगे पर तंज कसा। इसके जवाब में लांडगे ने मंगलवार को यह टिप्पणी की, जिन्होंने लोगों पर शास्तिकर लादा आज वो उनके लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। साथ ही उन्होंने मनपा आयुक्त से शास्तिकर अलग कर मूल प्रॉपर्टी टैक्स स्वीकार करने की मांग की है।
विधायक महेश लांडगे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मनपा आयुक्त श्रावण हर्डीकर से मुलाकात की। इस प्रतिनिधि मंडल ने एक हजार से ज्यादा अवैध निर्माणकार्यों के शास्तिकर के बारे में फैसला होने तक शास्तिकर अलग रख मूल प्रॉपर्टी टैक्स स्वीकारने की मांग की है। इसके साथ ही संपूर्ण शास्तिकर माफी को लेकर सत्तादल और खुद अपनी प्रतिबद्धता भी जताई। अगर प्रशासन ऐसी भूमिका अपनाता है तो लोगों को राहत भी मिलेगी और मनपा को टैक्स के रूप में राजस्व भी मिलेगा। यह बताकर विधायक लांडगे ने मनपा आयुक्त को टैक्स के सॉफ्टवेयर में बदलाव करने का सुझाव भी दिया। साथ ही संपूर्ण शास्तिकर माफी को लेकर आम सभा में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार के पास भेजने और लोगों की भावनाओं को पहुंचाने की सूचना भी दी है।
इस प्रतिनिधि मंडल में महापौर राहुल जाधव, पिंपरी चिंचवड लघुउद्योग संगठन के अध्यक्ष संदीप बेलसरे, पूर्व अध्यक्ष सुरेश म्हेत्रे, शहर सुधार समिति के सभापति राजेंद्र लांडगे, नगरसेवक विकास डोलस, लक्ष्मण उंडे, कुंदन गायकवाड, पांडा साने, माजी नगरसेवक शांताराम भालेकर, प्रमोद राणे, नवनाथ वायाल समेत शास्तिकर बाधित नागरिक भी शामिल थे। दो दिन पहले एक हजार से ज्यादा अवैध निर्माणकार्यों को शास्तिकर की नोटिस जारी किए जाने से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। इस पर विधायक लांडगे ने राज्य सरकार से संपूर्ण शास्तिकर माफी का फैसला होने तक मूल प्रॉपर्टी टैक्स लेने की मांग की गई। इस पर विपक्ष के नेता दत्ता साने ने तंज कसा कि, जिन्होंने लोगों पर शास्तिकर लादा आज वो घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। पैसे और वोट कमाने के चक्कर में उन्हें यह भी याद न रहा कि शास्तिकर का फैसला मुख्यमंत्री करेंगे या सत्तादल के हाथों की कठपुतली बने मनपा आयुक्त?