देशभर में आज सुहागिनें मना रही हैं हरियाली तीज का पर्व 

पुणे। समाचार ऑनलाइन

सुहागिनों का त्योहार हरियाली तीज आज सोमवार को देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नाग पंचमी के दो दिन पहले मनाई जाती है। इसे छोटी तीज या श्रावण तीज भी कहते हैं। आपको बता दें कि 130 साल बाद इस बार ऐसा अद्भुत संयोग बना है कि हरियाली तीज सोमवार को मनाई जा रही है। इस बार सावन के सोमवार के दिन यह त्योहार पड़ा है, जिससे इसका महत्व बढ़ गया है। इस दिन व्रत करने से शिव जी आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे।

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108 साल की तपस्या के बाद माता पार्वती को शिव जी ने दिया था वरदान

हरियाली तीज व्रत करने के पीछे कथा है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए 108 साल की घोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आज ही के दिन यानी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीज को माता पार्वती के सामने प्रकट हुए और उनसे शादी करने का वरदान दिया था। इसीलिए सावन के महीने में पड़ने वाली इस तीज के दिन सुहागिनें माता पार्वती और शिव जी की पूजा करती हैं ताकि उनकी पति की आयु लंबी हो सके। कुवारी लड़कियां भी इस व्रत को करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा पति मिल सके। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करनी चाहिए। इस व्रत को रखने वाली ज्यादातर महिलाएं पूरे दिन बिना पानी की एक बूंद पिए ही रहती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को निर्जला ही रखते हैं इस दिन कुछ खाया पिया नहीं जाता।

 इस बार हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को सुबह 8.38 पर शुरू होकर 14 अगस्त को सुबह 5.46 मिनट तक रहेगा। साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। कई राज्यों में आज नवविवाहित लड़कियों को मायके बुला लिया जाता है और ससुराल से कपड़े, गहनें, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। जबकि कुछ राज्यों में स्त्रियां ससुराल में रहकर ही इस पूजा को सम्पन्न करती हैं। व्रत रखती हैं और पति की सुख, समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। मायके से उनके लिए कपड़े, गहनें, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विवाहिता को मायके से भेजी गई चीजों को प्रयोग करना चाहिए।

इस दिन महिलाएं अपना 16 श्रृंगार करती हैं। इस दिन मेहंदी लगाने का बहुुत महत्व होता है। इस दिन झूला झूलने का भी खास महत्व है। इस दिन जगह-जगह झूले लगाए जाते हैं। महिलाएं गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

शाम को प्रदोष काल में होती है पूजा

हरियाली तीज की पूजा शाम के समय की जाती है। जब दिन और रात मिलते हैं उस समय को प्रदोष काल कहते हैं इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं पूरा दिन भोजन-जल के बिना व्यतीत करती हैं और दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं।

पूजा सामग्री में इन वस्तुओं को करें शामिल

हरियाली तीज की पूजा सामग्री के रूप में गीली मिट्टी, पीले रंग का नया कपड़ा, बेल पत्र, कलावा, धूप-अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, फूल-फल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी, दही, शहद दूध, नारियल और पंचामृत आदि इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दिन मां पार्वती जी का श्रृंगार किया जाता है और इसके लिए चूड़ियां, आल्ता, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, कंघी, शीशा, काजल, कुमकुम, सुहाग चूड़ा और श्रृंगार की वस्तुओं की भी आवश्यकता होती है। सुबह स्नान कर और मां-पार्वती की विधिवत पूजा कर इस व्रत को शुरू करते हैं। सुहाग श्रृंगार की चीजें माता पार्वती को अर्पित कर भगवान शिव को वस्त्र भेंट किया जाता है।

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कुछ स्‍थानों पर माता पार्वती और शिवलिंग की पूजा के वक्त मां पार्वती को शंकर जी वर के रूप में कैसे प्राप्त हुए इसकी कथा भी सुनाई जाती है। इस कथा को हरियाली तीज कथा के नाम से भी जानते हैं। अगले दिन सुबह भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। व्रत खोलने से पहले भगवान को खीर पूरी या हलुआ और मालपुए से भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मिट्टियों की इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित करने की मान्यता है।